इरा टाक लेखक, फिल्मकार, चित्रकार हैं. वर्तमान में वो मुंबई में रह कर अपनी क्रिएटिव तलाश में लगी हुई हैं . ये ब्लॉग उनकी दुनिया की एक खिड़की भर है.
Friday 6 September 2013
Friday 23 August 2013
किसी ने मुझे कहा कि मुंबई में हुए बलात्कार पर आपने कुछ नहीं लिखा।क्या लिखने से ये अपराध कम हो जाएंगे। क्या देश के हालात बदलेंगे..देश की सामाजिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही
है...औरते...बच्चियां असुरक्षित हैं...क्या वास्तव में आप सब को अफ़सोस
है..जो हो रहा है..?धर्म के नाम लोगों का आर्थिक मानसिक और शारीरिक शोषण हो रहा है। क़ब तक अंधें बने रहेंगे ? औरतो की इज्ज़त करना सीखिए...सिर्फ फेसबुक पर काली फोटो
लगाने से हालात नहीं बदलेंगे...विरोध कीजिये...आपकी आँखों के सामने किसी भी
बच्ची या महिला का शोषण हो रहा हो तो उनकी मदद कीजिये...कब तक हम अपने घर
में हादसा होना का इंतज़ार करेंगे..?
शारीरिक बलात्कार के साथ मानसिक बलात्कार भी उतना ही जघन्य अपराध है...विरोध करें..शुरुवात कीजिये खुद को सुधारने से
शारीरिक बलात्कार के साथ मानसिक बलात्कार भी उतना ही जघन्य अपराध है...विरोध करें..शुरुवात कीजिये खुद को सुधारने से
Saturday 27 July 2013
Friday 26 July 2013
Monday 8 July 2013
Sunday 30 June 2013
Saturday 15 June 2013
प्रेम मे स्पेस
स्पेस दो मेरा दम घुटता है ....जब आप स्पेस देंगे तो आपके दिए स्पेस को कोई और भरने लगेगा ...खाली जगह रहती नहीं यही प्रकृति का नियम है ...यदि प्रेम है तो दोनों एक हैं ...स्पेस की जरुरत सिर्फ आकर्षण में पड़ती है या तब जब दोनों स्वार्थवश एक दुसरे से जुड़े हों ..वरना प्रेम में मेरा तेरा होता ही कहाँ है ? छुपाते हम तभी हैं जब हमे लगता है कि हम गलत कर रहें हैं ..वरना अगर आप रिश्ते में ईमानदार हैं पूरी तरह प्रेम में हैं तो पारदर्शिता होनी चाहिए
स्पेस दो मेरा दम घुटता है ....जब आप स्पेस देंगे तो आपके दिए स्पेस को कोई और भरने लगेगा ...खाली जगह रहती नहीं यही प्रकृति का नियम है ...यदि प्रेम है तो दोनों एक हैं ...स्पेस की जरुरत सिर्फ आकर्षण में पड़ती है या तब जब दोनों स्वार्थवश एक दुसरे से जुड़े हों ..वरना प्रेम में मेरा तेरा होता ही कहाँ है ? छुपाते हम तभी हैं जब हमे लगता है कि हम गलत कर रहें हैं ..वरना अगर आप रिश्ते में ईमानदार हैं पूरी तरह प्रेम में हैं तो पारदर्शिता होनी चाहिए
Wednesday 12 June 2013
प्रेम बड़ा विचित्र है ..हम हवा में उड़ने लगते हैं
एक इंसान के इर्द गिर्द हमारी दुनिया सिमट जाती है।।मानो हम जी भी सिर्फ उसी की वजह से रहें हों
लेकिन जब हमे अपेक्षित प्रेम नहीं मिल पाता।।हम भीड़ में भी अकेले हो जाते हैं ..वही इंसान हमारे सबसे बड़े दुःख का कारण भी बन जाता है।।।कैसे टूटता है तब मन
सारे सपने बिखर जाते हैं ...बड़ा मुश्किल हो जाता है खुद को संभाल पाना।। बुद्धि जवाब दे जाती है
प्रेम या तो बना देता है या पूरी तरह बिगाड़ देता है ..बीच की स्थिति नहीं होती प्रेम मे
एक इंसान के इर्द गिर्द हमारी दुनिया सिमट जाती है।।मानो हम जी भी सिर्फ उसी की वजह से रहें हों
लेकिन जब हमे अपेक्षित प्रेम नहीं मिल पाता।।हम भीड़ में भी अकेले हो जाते हैं ..वही इंसान हमारे सबसे बड़े दुःख का कारण भी बन जाता है।।।कैसे टूटता है तब मन
सारे सपने बिखर जाते हैं ...बड़ा मुश्किल हो जाता है खुद को संभाल पाना।। बुद्धि जवाब दे जाती है
प्रेम या तो बना देता है या पूरी तरह बिगाड़ देता है ..बीच की स्थिति नहीं होती प्रेम मे
Thursday 23 May 2013
Thursday 16 May 2013
Wednesday 15 May 2013
Thursday 9 May 2013
मेरा क्रोध ज्वार भाटे की तरह था
और तुम्हारा बाढ़ की तरह
मैं बोलती जाती रोती जाती
तुम भी पूरी शक्ति से चिल्लाते
फिर सब कुछ शांत हो जाता
मेरे मन में कल कल प्रेम सरिता
फिर बहने लगती पहले से और निर्मल
पर तुम रोक लेते उस बाढ़ के पानी को
पता नहीं है कि ठहरा पानी सब सडा देता है
और मैं कोशिश में रहती रास्ते बनाने की
ताकि ठहरा हुआ पानी निकल जाये
पनप सके प्रेम का पौधा
नम जमीन पर
सडन और घुटन से दूर।। इरा टाक
और तुम्हारा बाढ़ की तरह
मैं बोलती जाती रोती जाती
तुम भी पूरी शक्ति से चिल्लाते
फिर सब कुछ शांत हो जाता
मेरे मन में कल कल प्रेम सरिता
फिर बहने लगती पहले से और निर्मल
पर तुम रोक लेते उस बाढ़ के पानी को
पता नहीं है कि ठहरा पानी सब सडा देता है
और मैं कोशिश में रहती रास्ते बनाने की
ताकि ठहरा हुआ पानी निकल जाये
पनप सके प्रेम का पौधा
नम जमीन पर
सडन और घुटन से दूर।। इरा टाक
Wednesday 8 May 2013
Saturday 4 May 2013
Friday 3 May 2013
Monday 22 April 2013
Thursday 18 April 2013
Saturday 13 April 2013
Wednesday 10 April 2013
Sunday 7 April 2013
Saturday 6 April 2013
प्रेम एक गुलामी ही तो है
जब हमारी खुशियाँ और गम
साथी से जुड़ जाते हैं
एक कठपुतली की तरह
चलने लगते है एक दूसरे के इशारो पर
बीच बीच में दोनों का अहम् भी सर उठाता है
और पनपने लगती हैं दूरियां
चाहने लगते हैं एक स्वतंत्र अस्तित्व (स्पेस)
पर जो आनंद प्रेम की गुलामी में है
वो क्या अकेलेपन की स्वतंत्रता में होगा ??
बोलो न मेरे प्रिय !!!,..इरा टाक (सर्वाधिकार सुरक्षित)
जब हमारी खुशियाँ और गम
साथी से जुड़ जाते हैं
एक कठपुतली की तरह
चलने लगते है एक दूसरे के इशारो पर
बीच बीच में दोनों का अहम् भी सर उठाता है
और पनपने लगती हैं दूरियां
चाहने लगते हैं एक स्वतंत्र अस्तित्व (स्पेस)
पर जो आनंद प्रेम की गुलामी में है
वो क्या अकेलेपन की स्वतंत्रता में होगा ??
बोलो न मेरे प्रिय !!!,..इरा टाक (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Wednesday 3 April 2013
Tuesday 2 April 2013
मसरूफ
मसरूफ
जब हमें थी फुर्सत आप थे मसरूफ
आज आप है फुर्सत में,तो हम है मसरूफ
अजीब है ये तमाशा ए किस्मत
कभी आप मसरूफ कभी हम मसरूफ
अरसा हो गया बयां न कर सके हाले दिल
मसरूफियत ने ऐसा उलझा दिया हमको
खामोशियो ने ऐसा थमा लफ्जो का दामन
देख के भी उनको हम मुस्करा न सके
महोबत की चाह में झेलते रहे दोजख
कभी जन्नत नसीं होगी..सोच सब्र करते रहे
सब्र को मेरे वो समझ बैठे मुफलिसी ...
भूल गए वो, राख में अक्सर चिंगारी दबी होती है
इरा टाक
Sunday 31 March 2013
Wednesday 27 March 2013
Saturday 23 March 2013
Friday 22 March 2013
Thursday 21 March 2013
Wednesday 20 March 2013
Tuesday 19 March 2013
Tuesday 12 March 2013
Friday 8 March 2013
Wednesday 6 March 2013
Monday 4 March 2013
Sunday 3 March 2013
Saturday 2 March 2013
Friday 1 March 2013
अनछुआ ख्व़ाब
एक अनदेखा अनछुआ सा ख्वाब है तू
हर लम्हे में शामिल एक अहसास है तू
तुझे पाने की तमन्ना ऐसी है मुझको \
जैसे तपती ज़मी पर कोई सैलाब है तू
कोशिशें की बहुत निगाहें फेरने की
पर आँखों में सूरत कोई आती नहीं
सोचूं न कैसे बारे में तेरे
हर धड़कन के पहले और बाद है तू
बेरुखी भी अब तेरी लगती है अच्छी
खुश रहे वहां,जहाँ आबाद है तू
तेरी मौजूदगी की अब नहीं चाहत
मेरी यादो के पन्नो में बेहिसाब है तू
इरा टाक (अनछुआ ख्वाब से )
एक अनदेखा अनछुआ सा ख्वाब है तू
हर लम्हे में शामिल एक अहसास है तू
तुझे पाने की तमन्ना ऐसी है मुझको \
जैसे तपती ज़मी पर कोई सैलाब है तू
कोशिशें की बहुत निगाहें फेरने की
पर आँखों में सूरत कोई आती नहीं
सोचूं न कैसे बारे में तेरे
हर धड़कन के पहले और बाद है तू
बेरुखी भी अब तेरी लगती है अच्छी
खुश रहे वहां,जहाँ आबाद है तू
तेरी मौजूदगी की अब नहीं चाहत
मेरी यादो के पन्नो में बेहिसाब है तू
इरा टाक (अनछुआ ख्वाब से )
Thursday 28 February 2013
Monday 11 February 2013
Sunday 10 February 2013
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आज की हमारी गेस्ट राइटर हैं, श्रीमती धा पी देवी, आशा है उनको आप सब का स्नेह मिलेगा.... धा पी देवी का परिचय धापी देवी एक दबंग ग्रामीण महिला...
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यकीन दिलाने को खुद को कि तुम थे मैं गयी हर उस जगह जहां हम साथ जाते थे हर उस जगह में महसूस किया तुम्हारा होना वो चंद दिन बेहतरी...
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खंडे और खावण खंडों का शहर जोधपुर कहानियां तितलियों की तरह हवा में उड़ती हैं , लोगों पर मंडराती हैं , बारिशों में भीगती हैं और मैं उनको ...