Saturday 27 June 2020

मृत्यु एक नयी यात्रा

मृत्यु एक नयी यात्रा है, मैं मृत्यु की खबर पर शांत हो जाती हूँ पर दुखी नहीं होती. ज़िन्दगी में इतने अंधेरों से गुज़री हूँ कि सुख- दुःख का बोध समाप्त हो गया है. अच्छे से पता है कि हर चीज़ नश्वर है इसलिए किसी का मोह इतना नहीं होता कि उसके छूटने का दुःख हो. संवेदनाएं ज़रूर होती है, कई बार मन आहत भी होता है पर मिथ्या आडम्बर नहीं कर पाती. मन को मुक्त करने का निरंतर अभ्यास करती हूँ.

मेरी माँ अल्जाइमर रोग के चलते साढ़े चार साल बिस्तर पर रहीं, उनकी सेवा करते हुए मैंने मृत्यु को इतने करीब से देखा कि उसका भय ही खत्म हो गया. उनको नहलाना, डाईपर बदलना, उनको कुछ भान नहीं रहा था वो मल को हाथ में ले लेती थीं फिर बिखरे हुए और नाखूनों में भरे मल को साफ़ करना, शरीर पर हो रहे घाव साफ़ करना, पट्टी करना  और उनको खिलाना -पिलाना.
थकान, गुस्सा, वितृष्णा, दया, खीज, अवसाद जैसे कई- कई भाव मुझे घेरे रहते थे. सिर्फ मेरा काम मेरे लिए एक सुकून था, जलते हुए रेगिस्तान में छाया की तरह !
उनको मेरे सिवा कुछ याद नहीं रहा था. मृत्यु से ठीक पहले जब वो मूर्छित थीं तब भी मेरी आवाज़ पर उनके होंठ हिलते थे. फिर उनकी मृत्यु (2015) पर मैं खामोश रही... बिलख कर नहीं रोई. कई महीने बाद मुझे रोना आया. लेकिन मैं हलकी हो गयी थी, वो साढ़े चार साल मेरे जीवन का विकटतम समय था. मैं दो- चार दिन से ज्यादा उनको छोड़ कहीं नहीं जाती थी, मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तोड़ देने वाला वक़्त.
पता नहीं ये सहज है या नहीं पर अब मैं किसी चीज़ से प्रभावित नहीं होती चाहे सुख हो या दुःख. मुझे कोई चिंता नहीं होती , कोई डर नहीं सताता, हमेशा अपनी कमजोरियों पर जीत हासिल करने का प्रयास करते हुए मुझे हमेशा उजाले की उम्मीद रहती है.
     किसी के लिए अगर कोई भाव मरा, तो वो दोबारा जीवित नहीं होता. हर किसी को अपने हिस्से का अँधेरा झेलना है और अपने हिस्से की रोशनी हासिल करनी है. क्या वाकई कोई आपके दुःख में दुखी होता है या आपकी ख़ुशी में सच में खुश होता है?
ये जान पाना मुश्किल है और अगर आप जान जाएँ तो पीड़ा भी होती है.
इसलिए मोह न रखते हुए उम्मीद बने रहना सहज है, सुखद है. जो आया है वो एक आयु लेकर आया है इस सच को स्वीकार कर लेने से दुःख स्वतः ही क्षीण हो जाते हैं.
- इरा टाक 

Sunday 14 June 2020

दर्द है इतना कि सहा नहीं जाता...

जब दर्द इतना होता है कि सहा नहीं जाता और उसको कह पाने की हिम्मत नहीं होती क्योंकि आप अपना कमज़ोर पक्ष दुनिया को नहीं दिखाना चाहते। जिस चमक की वजह लोग आपसे जुड़ते हैं, उसके कम होने पर उनके मज़ाक उड़ाने का खतरा और वो उपहास न सह पाने की शक्ति।
मेरे जब अवसाद और विकट संघर्ष के दिन थे तब मेरे ख़ुद के रिश्तेदार मेरे फैसलों को कोसने और मेरे सामने या पीछे मेरा उपहास उड़ाने को तत्पर रहते। वो बार बार आपकी कमाई पूछेंगे पर चुपचाप आपके हाथ में पैसे नहीं रखेंगे। वो पैसों से आपकी औकात का अंदाज़ा लगाते हैं पर कभी आपके मन की तकलीफ और संघर्ष नहीं देख पाते।
रिश्तेदारों को छोड़ो मेरे ख़ुद के पिता ने मुझे कभी प्रोत्साहित नहीं किया वो हमेशा हतोत्साहित करने पर लगे रहे। बुरा बोल कर बच्चे कभी आगे नहीं बढ़ते वो दूर होते हैं।

लोग आपको जज करेंगे पर आपके अंधेरे जानने की कोशिश नहीं करेंगे क्योंकि असल संवेदना के बारे में वो जानते ही नहीं। वो सिर्फ असमय मौत पर झूठी संवेदना जताना जानते हैं। सच तो ये है कि ज़्यादातर लोगों को दूसरों की असफलता देख आनंद आता है।
"अरे देखो बहुत उड़ रहा/ रही थी कैसे गिरा मुंह के बल!"
यहां तक कि माता पिता भी अपनी औलादों को उनकी काबिलियत से तोलते हैं वो उनकी असफलता को स्वीकार नहीं कर पाते। वो अपने बच्चों के साथ विश्वास और प्यार का सम्बन्ध कायम नहीं कर पाते कि बच्चे हम तेरे साथ हर पल हैं चाहे जो भी हो हमसे बोल, गले लग, रो ले, तू हमारा फल है हमारी छाया हमेशा तेरी है।
कई बार आपके साथ आपके सिवा कोई नहीं होता एक एक सांस तड़पते हुए डर के साए में लेनी पड़ती है।
नहीं होती हरेक की आदत अपने दुखड़े रोते हुए सहानुभूति जुटाने की, वो ख़ामोशी से संघर्ष करते हैं।
नहीं तमाशा बनाना चाहते अपनी असफलताओं और दुखों का
बात करो, शेयर करो का शोर मचाने वाले खामोशी सुन सकते हैं क्या?
बगैर कुरेदे आर्थिक मदद कर सकते हैं क्या?
तुम ने गलत साथी चुना, तुम्हारे सपने बहुत बड़े हैं, तुम्हारा चरित्र ठीक नहीं, तुम इतने सक्सेसफुल थे अब तुमको कोई काम नहीं मिल रहा, तुम हैंडल नहीं कर पाए सक्सेस को
बगैर ऐसा कोई सवाल पूछे सुन समझ सकते हैं किसी को?
जवाब मंगिए खुद से
खुद को मारना कभी कायराना नहीं होता, बहुत ज़्यादा हिम्मत चाहिए होती है जो जुबां चलाने में नहीं लगती।
और दुनिया के लोगों से घोर मोहभंग !
हम अपने भयावह दुखों और कड़वे सच को कभी नहीं कह पाते क्योंकि शायद ऐसा कोई मिल नहीं पाता जिससे कह सकें।
- इरा टाक
#SushantSinghRajput #CreativeLife #Struggle #Suicide #Depression

Even A Child Knows -A film by Era Tak