Tuesday 21 October 2014

My Write up टेक्नोलॉजी लत in "Ajmer Politics" ~ET~

टेक्नोलॉजी लत
एक घर में चार लोग, चारों के पास स्मार्ट फ़ोन , पूरी दुनिया से संवाद उनका कायम है ,सोशल साइट्स और लाइफ में चारों ही बड़े पॉपुलर हैं, पर घर के भीतर संवादहीनता की स्थिति बनी हुई है ! ये दुष्परिणाम है टेक्नोलॉजी की लत का !
टेक्नो सेवी होना आज के युग की ज़रूरत है , टेक्नोलॉजी ने हमारी ज़िन्दगी बहुत आसान कर दी है , साथ ही साथ उसके आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल ने चैन-सुकून भी छीन लिया है  आज ये एक लत की तरह लगभग हर वर्ग को अपनी चपेट में ले चुकी है , और सबसे बड़ी लत है मोबाइल -इंटरनेट की लत !
कहीं भी  निकल जाइये , पैदल चलते हुए राहगीर से लेकर शॉपिंग करती महिलाएं ,गाडी चलते हुए से लेकर टीनेजर्स तक सबके सर उनके मोबाइल्स पर झुके हुए मिलेंगे  ! आधा दिमाग मोबाइल में  अटका रहता है ,करना कुछ होता है करते कुछ हैं!
हॉर्न बजाते रहिये मज़ाल है जो बीच सड़क पर मोबाइल पर बात करते हुए चल रहा आदमी, टस से मस हो जाये,
इस कारण रोज़ सैकड़ों दुर्घटनाएं होती हैं पर परवाह किसे है !
बड़ी शान से हम अपने महंगे स्मार्ट फ़ोन्स लेकर चलते हैं , और उसे सबसे करीबी साथी बना लेते हैं ।क्लास की पहचान अब महंगे मोबाइल्स से होती है , छोटे छोटे बच्चों के हाथों में फ़ोन सौप दिए गएँ हैं। माता पिता बड़े गर्व का अनुभव करते हैं कि हमारा बच्चा बड़ा स्मार्ट है ,टेक्नो सेवी है और बच्चे अपने सवालों को मोबाइल पर इंटरनेट पर ढूंढ़ते हुए अपनी मासूमियत वक़्त से पहले ही खोते जा रहे हैं। नैतिकता का पाठ सिखाने का वक़्त उनके माता पिता के पास हैं नहीं, जो वक़्त है उसमे वो मोबाइल में बने एप्प पर पंचायत हँसी मज़ाक करते हुए बिता देते हैं ! बच्चे मेड और मोबाइल के सहारे बड़े हो रहे हैं !

टीनेजर्स और युवाओं को अपने पेरेंट्स के साथ बिताने का वक़्त ही नहीं , सारा समय इंटरनेट और दोस्त ले जाते हैं , बुरी आदतों में  फंस  कर कई बार अपराध कर बैठते हैं या अपराध का शिकार हो जाते हैं , घर वालों से भावनात्मक दूरियों के चलते अपनी परेशानियां नहीं कह पाते और अवसाद का शिकार होकर आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठा लेते हैं।उनके रिश्ते भी कमज़ोर और अस्थाई होते जा रहे हैं, कारण एक ही वक़्त में कई लोगो से चैटिंग और प्रेमालाप, ऐसे में कोई सम्बन्ध कैसे स्थाई होगा !
अपना कीमती वक़्त व्हाटप्प, वी चैट, फेसबुक और  ट्विटर जैसी साइट्स पर बर्बाद करते हुए अपने उदेश्यों से भटकते हैं


सुविधा जब तक सुविधा की तरह इस्तेमाल की जाए तब तक ही सुविधा रहती है ,लत बनते ही वो आपको गुलाम बना लेती है इस वजह से दिमाग हर वक़्त अशांत रहता है , कई तरह की स्वस्थ सम्बन्धी समस्याएं घेर लेती हैं , हर समय बैठे के मोबाइल और लैपटॉप पर लगे रहने से हमारी शारीरिक गतिविधियाँ कम हो जाती हैं  जिससे मोटापे ,मधुमेह,आर्थरिटिस, हृदयरोग आदि का खतरा बढ़ जाता है ।थक जाने पर भी हमारी उँगलियाँ बार बार मोबाइल या लैपटॉप के की-पैड पर चलती हैं,ये लत ही तो है !
 अकेलापन और अवसाद जो बार बार हमे सोशल साइट्स पर खींचता है, वहां हम वर्चुअल दोस्त बनाते हैं , चैटिंग में वक़्त ज़ाया करते हैं , नतीजन हमारे हकीकत के रिश्ते कमज़ोर हो जाते हैं
जहाँ टेक्नोलॉजी से ज़िन्दगी आसान हुई है ,वही सैकड़ों बुराइयों तक भी बस एक क्लिक से पहुंच हो गयी है, बच्चों से लेकर युवा, अधेड़ मोबाइल पर अश्लील फ़िल्में देख रहें हैं ,लड़कियों के अश्लील mms बना के इंटरनेट पर अपलोड किये जा रहे हैं ,परिणामस्वरूप कितनी ही लड़कियां डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं, शर्म और सामाजिक तिरस्कार के कारण आत्महत्या कर लेती हैं । नैतिक मूल्यों के अभाव में बलात्कार, छेड़छाड़ की घटनाएँ निरंतर बढ़ रहीं हैं , इसमें भी परोक्ष और अपरोक्ष रूप से इंटरनेट की लत का ही हाथ है।

   वक़्त की नब्ज़ को पहचानते हुए रफ़्तार बनाये रखना लाज़मी है पर संतुलन के साथ , संतुलन खोते ही हम बहुत कुछ खो देते हैं जिसका पता बहुत देर हो जाने पर लग पाता है , हर बात की सीमायें तय होनी ज़रूरी हैं , मेरी नज़र में आज़ादी का मतलब निरंकुश होना कभी नहीं होता !
हम सबको ये सीखना होगा कि सुविधा को लत बनाये और नैतिक मूल्यों  से जुड़े रहते हुए परिवार और रिश्तों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें अपनी क्षमताओ का पूरा उपयोग करते हुए, टेक्नोलॉजी को अपने उत्थान  के लिए इस्तेमाल करें !
दुआएं और साथ बनाये रखिये !
इरा टाक
क्रिएटिव राइटर और चित्रकार

Even A Child Knows -A film by Era Tak