सुलगते सहते रहो
बचाते हुए खोखला मान
झूठी हंसी होठों पर चिपका
आंखों का सूनापन
काले चश्मे से ढके हुए
पर इससे पहले कि
कुचल दिया जाए
तुम्हारा स्वाभिमान
स्वप्न परतंत्र हों जाएं
आत्मा मृत हो, जीवित देह
को ढोती रहे
सुप्त ज्वालामुखी से जाग्रत
हो जाओ
बहा दो खदकता लावा
वरना इसकी ऊष्मा
तुमको नष्ट कर देगी।
- इरा टाक ©
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