मेरी किताब अनछुआ ख्व़ाब से. ....
ख्यालों में तेरे गम हूँ ,शामो सहर
दुआ के लिए अब नहीं है वक़्त
मुहब्बत इतनी है कि इबादत बन गयी
खुद़ा भी करने लगा है थोडा रशक ..इरा टाक
ख्यालों में तेरे गम हूँ ,शामो सहर
दुआ के लिए अब नहीं है वक़्त
मुहब्बत इतनी है कि इबादत बन गयी
खुद़ा भी करने लगा है थोडा रशक ..इरा टाक
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