Saturday 8 February 2014

मेरे प्रिय !

अक्सर कहते हो तुम
दुःसाहसी हूँ मैं
दुनिआ की नहीं
सिर्फ अपने दिल की  सुनती हूँ
प्रेम जो अनुशाषित हो तो
प्रेम ही कैसा
मेरे प्रिय  !

Thursday 6 February 2014

Cover PAge of My Forthcoming Poetry Book

Cover PAge of My Forthcoming Poetry Book

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mail karen 

eratak13march@gmail.com
sath me Kitaab ka naam likhna na bhoolen .... thanks !

Tuesday 4 February 2014

कितना अच्छा लगता है कभी यूँ खुद से दूर जाना

कुछ न करते हुए बैठे रहना घंटो तक
सिर्फ शोर सुनते हुए लहरों का
भूल जाना अच्छी बुरी हर याद को
बहा देना नमकीन पानी में हर परेशानी
कितना अच्छा लगता है कभी यूँ
खुद से दूर जाना

रेत का घर बना के सीपियों से सजाना
नाम लिख कर अपना गीली रेत पर
खुद ही मिटाना
कितना अच्छा लगता है कभी यूँ
खुद से दूर जाना

हिचकोले खाती हुई मछुआरों की नाव
लोगो का समंदर में फूल नारियल चढ़ाना
रेत पर बैठे खोये हुए से प्रेमी जोड़े
खुद को भूल दुनिया पे नज़र
कितना अच्छा लगता है कभी यूँ
खुद से दूर जाना

कोई नहीं है साथ तो क्या
कायनात तो है
नए तराने बुन के
नए सुर में गुनगुनाना
कितना अच्छा लगता है कभी यूँ
खुद से दूर जाना ...इरा टाक ...~ET~

55वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी


55वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी मार्च महीने के दूसरे सप्ताह तक दिल्ली में शुरू होगी। इस प्रदर्शनी के लिए देशभर के हजारों कलाकारों की कृतियों में से इस बार 172 कलाकृतियां प्रदर्शन के लिए चुनी गई हैं। इनमें राजस्थान के तीन कलाकारों का काम शामिल किया गया है।
राजस्थान से शामिल किए गए तीन कलाकारों में जयपुर के आकाश श्री चंदनराम व इरा टांक तथा उदयपुर की ज्योतिका राठौड़ के नाम हैं। इरा टांक ने कैनवास पर एक्रेलिक से 'बॉन्डिंगÓ शीर्षक से अपने भाव व्यक्त किए हैं।

Even A Child Knows -A film by Era Tak