मेरी किताब अनछुआ ख्व़ाब से
गम दिया उसने शिकायत नहीं मुझको
दर्द से न गुज़री होती इतना
तो बातों में मेरी यूँ शिफ़ा नहीं होता
ज़िन्दगी में कुछ भी बेवजह नहीं होता
गम दिया उसने शिकायत नहीं मुझको
दर्द से न गुज़री होती इतना
तो बातों में मेरी यूँ शिफ़ा नहीं होता
ज़िन्दगी में कुछ भी बेवजह नहीं होता
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