Friday 11 September 2015

लड्डू -बाल कहानी- इरा टाक

आज राहुल बहुत खुश था , उसके चाचा दुबई से आये हुए थे , नाश्ता करके वो अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने मैदान में आ गया सभी को उसने अपनी घडी बड़े गर्व से दिखाई, जो उसके चाचा दुबई से लाये थे वैसे चाचा घड़ी काव्या के लिए लाये थे , सुबह इसी घडी को लेकर उसका काव्या से झगडा भी हो गया था, काव्या उसकी बहन थी जो उससे तीन साल छोटी थी , पर जैसे हमेशा होता आया था, उसने बड़े होने की धोंस दे कर घडी छीन ली और काव्या बेचारी रोती रह गयी
       दोपहर में जब वो खेल कर लौटा तो घर में सब सो रहे थे, दरवाज़ा काव्या ने खोला, उसका मुँह रूने की वजह से सूजा हुआ था बड़े अकड़ में राहुल ने काव्या को खाना लगाने का आदेश दिया और खुद हाथ मुँह धोने चला गया काव्या ने चुपचाप खाना लगा दिया और अपने कमरे में पढाई करने चली गयी
     राहुल की उम्र बारह साल हो चुकी थी , घर में लाड प्यार की वजह से वो काफी बिगड़ गया था, जबकि काव्या बहुत सुलझी और समझदार लड़की थी राहुल और उसकी अक्सर छोटी छोटी बातों पर लड़ाई हो जाया करती थी , मार पीट तक की नौबत आ जाती ! काव्या को  हमेशा झुकना पड़ता, राहुल उससे अपनी हर बात मनवा लेता, यहाँ तक कि काव्या के लिए जो चीज़ें आती वो भी पसंद आ जाने पर उससे छीन  लेता
पापा तो ज्यादातर टूर पर रहते और जब घर पर होते तो राहुल शरीफ बच्चा बना रहता , उनकी माँ उनके रोज़ के झगड़ों से परेशान थी और कल शाम जब चाचा आये तो उनके लाये तोहफों ने एक बार फिर राहुल और काव्या के बीच जंग छेड दी ! दो चार दिन काव्या ने राहुल से बात नहीं की और फिर धीरे धीरे सब सामान्य हो गया
एक दिन अचानक किसी रिश्तेदार की मौत की खबर आई ,राहुल के माता पिता को तुरंत शहर से बाहर  पड़ा ,राहुल और काव्या की परीक्षाएं चल रही थी तो उनको ले जाना संभव नहीं था
राहुल की माँ ने दोनों को बुलाया और बड़े प्यार से समझाते हुए कहा
“देखो बच्चो हमे जाना ज़रूरी है , राहुल तुम बड़े हो , अपना और बहन का ख्याल रखना , देखो आपस में झगडा मत करना , पाखी खाना बना जाएगी ,वक़्त पर खा लेना ,पढाई करना , हम दो तीन दिन में लौट आयेंगे”
राहुल और काव्या दोनों ने हाँ में सिर हिला दिया
मम्मी पापा के घर पर न होने से राहुल बहुत आज़ादी महसूस कर रहा था , उसने फुल वॉल्यूम में गाने चला दिए और डांस करने लगा काव्या एग्जाम की तैयारी कर रही थी , उसने आकर टोका
“भैया कल आपका मैथ्स का एग्जाम है ,पढाई कर लो !”
राहुल को बहुत गुस्सा आया : “मेरी पूरी तैयारी है ,दिमाग मत ख़राब कर और हाँ मेरी माँ बनने की कोशिश मत कर वरना दूंगा एक कान के नीचे”
काव्या चुपचाप अपने कमरे में लौट गयी , शाम होते ही राहुल अपने दोस्तों के साथ खेलने निकल गया
देर रात घर लौटा , राहुल अपनी ही धुन में रहता था उसे इस बात से कोई खास मतलब नहीं था कि काव्या घर पर अकेली है !  
काव्या ने उसका खाना टेबल पर रख दिया
“भैया थोडा जल्दी आ जाया करो ,मुझे अकेले घर में डर लगता है”
राहुल कुछ नहीं बोला , उसका सारा ध्यान अपने मोबाइल पर गेम खेलने में था !
अगले दिन स्कूल से आ कर राहुल अपने दोस्त विशी के घर चला गया , विशी उसे लेकर अपने प्लाट पर चला गया , आज विशी के नए घर की छत डली थी , तो विशी के पापा मिठाई बाँट रहे थे ,राहुल को मोतीचूर के लड्डू बहुत पसंद थे, उसने झट से डिब्बे से दो लड्डू उठा लिए
विशी उसे अपना बन रहा नया घर दिखा रहा था , विशी के पापा ने उसे आवाज़ दे कर बुला लिया और राहुल वहीँ खड़ा होकर आस पास देखने लगा तभी उसकी नज़र एक मजदूर लड़के पर पड़ी जो लगभग उसी की उम्र का था, वो हथेली में लड्डू लिए इधर उधर देख रहा था राहुल को बड़ा अचरज हुआ , उसने पास जाकर पूछा
 “क्या हुआ ... तुम्हे लड्डू पसंद नहीं ! इधर उधर क्या देख रहे हो, खा लो”
लड़का एकदम से सकपका गया
“नहीं वो देसी घी के इतने अच्छे लड्डू रोज़ रोज़ नहीं मिलते हैं न , कोई पन्नी ढूढ़ रहा हूँ , लक्ष्मी के लिए ले जाऊंगा , उसे ये बहुत पसंद हैं “
“लक्ष्मी कौन ?” राहुल ने पूछा
“मेरी छोटी बहन है”
उस मजदूर लड़के की बात सुन राहुल का मुंह खुला का खुला रह गया !
इतने में उस लड़के ने पुराने अख़बार के पन्ने में लड्डू लपेट कर अपने नेकर की जेब में रख लिया राहुल एक लड्डू तो खा चुका था और एक अब भी उसके हाथ में था , उसने वो लड्डू उस लड़के की तरफ बढ़ा दिया...
“लो ये भी अपनी बहन के लिए ले जाना और हाँ तुम भी खा लेना”
तभी विशी हाथ में मिठाई का एक छोटा डिब्बा लेकर आ गया ,
“ये पापा ने दिया है अंकल के लिए “
राहुल थोड़ी देर विशी के साथ खेलता रहा , पर उसकी आँखों के सामने वही लड़का था और उसके कहे शब्द “अपनी बहन के लिए ले जाऊंगा” उसके कानों में गूँज रहे थे !
राहुल को खुद पर शर्म आने लगी , उसने आजतक कभी अपनी बहन काव्या के लिए नहीं सोचा , बल्कि वो तो उसका हिस्सा भी छीन लेता था, हमेशा उसे मारता पीटता और डांटता था , बेचारी काव्या चुपचाप सब सहती और फिर भी उसका ख्याल रखती !
उसे खुद पर बहुत पछतावा होने लगा....
“वो एक गरीब मजदूर होते हुए अपनी बहन को इतना प्यार करता है उसके लिए एक लड्डू बचाने की सोचता है और मैं कितना खुदगर्ज हूँ कि सब कुछ पास होते हुए भी मेरा मन कभी नहीं भरता ! मम्मी पापा नहीं है तो भी मैं कभी उससे उसका हाल नहीं पूछता और देर रात तक घर जाता हूँ !”
सब कुछ सोच सोच के उसका जी घबराने लगा , उसने विशी को बाय बोला और वो घर की ओर चल दिया रास्ते में पम्मी आंटी की दुकान से उसने काव्या के लिए एक बड़ी सी चॉकलेट खरीदी घर पंहुचा तो दरवाज़ा पाखी ने खोला वो सब्जी काट रही थी
“काव्या कहाँ है ?”
“बेबी सीढियो से गिर गयी , उनके सर पर काफी चोट आई है”
“क्या ..तुमने मुझे फ़ोन क्यों नहीं किया ?” राहुल चीखता हुआ बोला
“बेबी ने मनाकर दिया था , बोली भैया नहीं आयेगे ,वो खेलने गए हैं ! मैं ही पास वाली डिस्पेंसरी में पट्टी करा लाई ! ” पाखी ने सब्जी काटते हुए कहा
राहुल लगभग भागता हुआ काव्या के कमरे में पहुँचा , काव्या के सर पर पट्टी बंधी हुई थी , और वो बिस्तर पर ही कल के एग्जाम की तैयारी कर रही थी
राहुल ने काव्या का हाथ पकड़ लिया और फफक फफक के रो पडा ! काव्या ये देख हैरान रह गयीएक बार पहले उसे चोट लगी थी तो राहुल ने उसे खूब सुनाया था ...
“तमीज नहीं है साईकिल चलने की , ऑंखें फूट गयीं है क्या ? ,जो सामने आती चीज़ नहीं दिखती”और भी बहुत कुछ  और आज वो रो रहा था
“काव्या मुझे माफ़ कर दे मैं बहुत बुरा हूँ..मैंने तुझे कभी प्यार नहीं दिया , कभी अच्छा भाई नहीं बन सका”
काव्य की आँखों में आंसू आ गए ...
राहुल ने काव्या के हाथ में चॉकलेट थमा दी और अपने हाथ में बंधी वो घडी जो काव्या को बहुत पसंद थी उतार कर उसके हाथ में पहना दी ! काव्या राहुल में अचानक आये बदलाव से हैरान थी !
‘आई ऍम सॉरी कवू ... आज से मैं एक अच्छा भाई बन के दिखाऊंगा ..दुनिया का सबसे अच्छा भाई !”
पाखी दरवाज़े पर खड़ी सब सुन रही थी उसकी ऑंखें भी भर आई थी  !
राहुल ने अलमारी से निकाल कर काव्या को अपनी गुल्लक देते हुए कहा इस बार राखी पर इस गुल्लक के सारे पैसे तुम्हारे ! जो मर्जी आये वो खरीद लेना अपने लिए !
“नहीं भैया मुझे ये पैसे नहीं चाहिए , बस आप हमेशा ही ऐसे अच्छे बने रहना !”
इरा टाक  

(सर्व अधिकार सुरक्षित )

Even A Child Knows -A film by Era Tak