संवेदना का संसार
संवेदना का संसार
आज भी ऎसे लोग हैं जिनमें इंसानियत का जज्बा बाकी है। मिलते हैं ऎसे परिवार से, जिन्होंने अपने लकवाग्रस्त कुत्ते हैप्पी के लिए खास व्हील चेयर बनवाई है और पूरे मनोयोग से उसकी सेवा और इलाज में जुटे हैं।आज के दौर पर नजर डालिए। जवान बच्चे अपने बूढे और लाचार माता-पिता से और कुछ माता-पिता अपने विकलांग और मंदबुद्धि बच्चों से पीछा छुडाते नजर आ रहे हैं। ऎसे में विकलांग पशु के बारे में अगर कोई सोचे, तो आश्चर्य तो होगा ही।
जयपुर के अभिषेक साहा ऎसा ही कुछ कर रहे हैं। वे स्टूडेंट हैं। उन्होंने अपने माता-पिता को शादी की सालगिरह पर लेब्राजेर पपी हैप्पी तोहफे के रूप में दिया। हैप्पी दो महीने का ही हुआ था कि गिरने की वजह से उसकी पिछली बाएं टांग में चोट आ गई। अभिषेक ने हैप्पी का खूब इलाज कराया। इसे वैटेनरी डॉक्टरों की लापरवाही कहें या किस्मत का खेल कि हैप्पी की दोनों पिछली टांगे बेकार हो गइंü, अब वो चलने में असमर्थ था। ऎसे में क ई लोगों ने हैप्पी को इंजक्शन देकर मरवाने की सलाह दी।
अभिषेक कहते हैं, 'जिस हैप्पी को हमने बच्चे की तरह पाला, जिसकी वजह से हमें खुशियां मिलीं, उसे मारने के बारे में तो हम सपने में भी नहीं सोच सकते थे। मैंने इंटरनेट पर सर्च किया तो लकवाग्रस्त कुत्तों के लिए व्हील चेयर का पता चला।' काफी तलाश करने के बाद अभिषेक की मुलाकात जयपुर स्थित सर्जिटेक संस्था के रमन तनेजा से हुई। सर्जिटेक विकलांग और असहाय व्यक्तियों के लिए कई उपकरण तैयार करती है। अभिषेक ने उन्हें अपने पैट हैप्पी के लिए व्हील चेयर बनाने का आग्रह किया। इंटरनेट पर डिजाइन भी दिखाए। रमन तनेजा ने इस चुनौती को स्वीकार किया और लगभग दो हफ्तों की मेहनत के बाद हैप्पी के लिए व्हील चेयर तैयार हो गई। इसकी लागत करीब दो हजार रूपए आई। इस व्हील चेयर को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि डॉग के बडे होने पर उसकी बढती ऊंचाई और लंबाई के हिसाब से एडजस्ट किया जा सके। इसकी सहायता से डॉग चल-फिर और दौड भी सकता है। सेवा रंग लाएगीअपनी तरह की ये पहली व्हील चेयर है, जो डॉग के लिए बनाई गई है। आज हैप्पी छह माह का हो गया है, उसके जोश में कहीं कोई कमी नहीं। बच्चों के साथ खेलना उसे बहुत पसंद है। सडक पर दूसरे कुत्तों को देखकर सरपट भागता है। हैप्पी का इलाज डॉ. एम.एल. परिहार कर रहे हैं। अभिषेक कहते हैं, 'हमें पूरा विश्वास है कि जल्द ही हैप्पी अपने पैरों की खोई ताकत पा लेगा और बिना व्हील चेयर के दौडेगा।' इस बात को सुनकर हैप्पी भौंकता है, मानो अपने मालिक को विश्वास दिला रहा हो कि उनकी सेवा और प्यार रंग लाएंगे। अभिषेक और रमन तनेजा का यह प्रयास और लोगों को भी सेवा की प्रेरणा देगा। भले ही हैप्पी बोल न पाता हो पर उसकी आंखों में अपने मालिक के प्रति आभार साफ झलकता है।
इरा टाक
इरा टाक
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