डर भी है....
कैसी बैचैनी का आलम है,मन में एक अजीब सी उलझन है...
आँखों में ढेरो सपने है,पर मन में कही उनके टूट जाने का डर भी है।
हर तरफ रंग है फूल है,पर इस गुलशन के उजड़ जाने का डर भी है
जिंदगी के अजीब रास्तों पे उसके बिछड़ जाने का डर भी है
डरती हूँ दुर्भाग्य के बवंडर से ,बसे बसाये बिखर जाने का डर भी है
आज हाथो में ढेर सारी खुशिया है,पर रेत की तरह फिसल जाने का डर भी है।
इरा टाक
आँखों में ढेरो सपने है,पर मन में कही उनके टूट जाने का डर भी है।
हर तरफ रंग है फूल है,पर इस गुलशन के उजड़ जाने का डर भी है
जिंदगी के अजीब रास्तों पे उसके बिछड़ जाने का डर भी है
डरती हूँ दुर्भाग्य के बवंडर से ,बसे बसाये बिखर जाने का डर भी है
आज हाथो में ढेर सारी खुशिया है,पर रेत की तरह फिसल जाने का डर भी है।
इरा टाक
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