Monday 24 July 2017

रेनकोट - नंदन में प्रकाशित बाल कहानी

रेनकोट

शौर्य ने तीसरी क्लास में एडमिशन लिया था. पुणे से मुंबई आना उसे बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था. वहां उसके कई दोस्त थे. उसके पापा का हर तीसरे साल ट्रान्सफर हो जाता है, इसलिए अब वो मुंबई में थे. गोरा चिट्टा गोल मटोल शौर्य आठ साल का हुआ था, उसकी मम्मी ने उसका बर्थडे मनाया और आस पास के सभी बच्चों को बुलाया ताकि उसकी सबसे पहचान और दोस्ती हो सके. केक काटा जा चुका था , सब बच्चे मस्ती कर रहे थे. तभी एक डरा सहमा सा सांवले रंग का एक बच्चा हाथ में गिफ्ट का छोटा सा पैकेट लेकर आया. उसका नाम ध्रुव था. शौर्य की मम्मी ने उसे बड़े प्यार से बुलाया और केक खाने को दिया.
“हैप्पी बर्थडे शौर्य” -ध्रुव मुस्कराते हुए शौर्य की तरफ आया
फोटो इरा टाक 
और गिफ्ट उसकी तरफ बढ़ा दिया. शौर्य को इतना छोटा सा गिफ्ट देख कर बिलकुल अच्छा नहीं लगा. बाकी सभी बच्चे बहुत बड़े बड़े गिफ्ट्स लाये थे. उसने ध्रुव को “थैंक यू” भी नहीं बोला. उसका दिया गिफ्ट वो लापरवाही से सोफे पर फेंक बाकी बच्चों की ओर बढ़ गया. ध्रुव का मुंह लटक गया.
शौर्य के पापा रसोई में उसकी मम्मी की मदद करा रहे थे. थोड़ी देर में वो दोनों गरमागरम नूडल्स और मंचूरियन लेकर बाहर निकले . सब बच्चे खाने पर टूट पड़े. शौर्य के पापा ने ध्रुव को प्लेट में सर्वे किया . उन्हें वो बच्चा बड़ा प्यारा और शांत लगा. खाने के बाद उसने अपनी प्लेट किचन में रखी जबकि बाकी बच्चे इधर उधर प्लेट्स और सामान बिखरा का चले गये थे.सबके जाने के बाद शौर्य अपने गिफ्ट्स खोल कर देखने में बिजी था और उसके मम्मी पापा घर की सफाई में !
“देखो पापा, रिमोट कण्ट्रोल वाला रोबोट”- उसने ख़ुशी से चिल्लाते हुए कहा
“अरे वाह ! खूब नए टॉयज मिल गए तुम्हें तो”- पापा तौलिये से हाथ पोंछते हुए बोले“अब साल भर खिलौने मत मांगना”- मम्मी ने उसके सिर पर  हाथ फेरते हुए कहा
“अरे एक ये पैकेट भी तो रह गया, खोलो इसे” – उसके पापा ने सोफे के कोने में पड़ा हुआ ध्रुव का दिया गिफ्ट उठाते हुए कहा
“मम्मा आपने उसे क्यों बुलाया? उसके घर का कोई स्टैण्डर्ड नहीं. देखो कितना छोटा सा गिफ्ट लाया”- शौर्य ने चिढ़ते हुए कहा
“ऐसे नहीं बोलते, तुम्हारे ही क्लास में पढ़ता है वो . और टीचर बोल रहीं थी क्लास का सबसे होशियार बच्चा है.”- मम्मी ने समझाते हुए कहा
“ शौर्य ! स्टैण्डर्ड पैसे या गिफ्ट से नहीं होता नॉलेज से होता है. आगे से इस तरह की बातें मत करना. पता नहीं कैसे ये अमीर गरीब वाली बातें इसके दिमाग में आ गयी”- उसके पापा गुस्सा करते हुए बैडरूम की तरफ बढ़ गएशौर्य का मूड ख़राब हो गया. पैकेट खोले बिना ही वो भी अपने कमरे में सोने चला गया.जहाँ ध्रुव उससे दोस्ती करना चाहता, शौर्य उससे कटा कटा रहता. क्लास में भी उससे दूर ही बैठता. राहुल और विक्रम से उसकी खास दोस्ती हो गयी थी. वो तीनों अक्सर ध्रुव को परेशान भी करते थे. शाम को जब सोसाइटी के पार्क में सब बच्चे इकट्ठे होते तब भी शौर्य उससे बात नहीं करता. बाकी सबके साथ वो खूब हंसी मजाक करता था . अब उसके कई दोस्त बन गए थे, उसका मन लग गया था. ध्रुव अपनी छोटी बहन परी के साथ रोज़ खेलने आता. कभी वो परी को साइकिल चलाना सिखाता और कभी उसके साथ बैडमिंटन खेलता. ध्रुव के पापा एक साल पहले रोड एक्सीडेंट में चल बसे थे. उसकी मम्मी को उनकी जगह नौकरी मिल गयी. पर पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी की वजह से उनकी माली हालत ठीक नहीं रही. पर वो अपने बच्चों की पढाई में कोई कटौती नहीं करना चाहती थीं. परी और ध्रुव दोनों शहर के महंगे स्कूल में पढ़ रहे थे. ध्रुव अपने घर की हालत अच्छे से समझता था इसलिए वो वक़्त से पहले ही समझदार हो गया था.***मानसून आ चुका था. लगभग रोज़ ही ज़ोरदार बारिश हो रही थी. खेलने के मैदान में कीचड़ हो गया था. शाम को मौसम साफ़ था तब सब बच्चे खेलने को इकट्ठे हुए. सब फुटबाल खेल रहे थे, एक किक मारने के चक्कर में अचानक शौर्य का पैर फिसला और वो कीचड़ में गिर गया. सब बच्चे जोर जोर से ताली बजा कर हंसने लगे. विक्रम और राहुल मुंह पर हाथ रख खीं खीं कर रहे थे. शौर्य ने उठने की कोशिश की, पर उसके मोच आई थी. वो दर्द से तिलमिला उठा.
ध्रुव और परी थोड़ी दूर पर बैडमिंटन खेल रहे थे.  फुटबाल का खेल रुक गया था, तो वो देखने आया कि क्या हो रहा है. शौर्य कीचड़ में सना हुआ रो रहा था. कोई उसे उठाने आगे नहीं बढ़ रहा था. उसने तुरंत अपने हाथ का रैकेट बहन परी को पकड़ाया और शौर्य की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया.दर्द से कराहते हुए शौर्य ने उसका हाथ थामा. पर वो बहुत भारी था ध्रुव अकेले उसे उठा नहीं पा रहा था.“राहुल हेल्प करो”-उसने कहा
“यार मेरी नयी वाइट टी शर्ट है, मिटटी लग गयी तो साफ़ नहीं होगी. मेरी मम्मी को तो तू जानता ही है, बहुत मारती है”-राहुल बोला
परी अपने भाई की मदद को आगे आई और दोनों ने मिल कर किसी तरह शौर्य को उठाया. वो चल नहीं पा रहा था. दर्द की वजह से उसके आँखों से आंसू लगातार बह रहे थे. दोनों के कंधे का सहारा लेकर वो अपने घर पहुंचा. परी और ध्रुव दोनों के कपड़ों पर मिटटी लग गयी थी पर उन्हें शौर्य की चोट की ज्यादा परवाह थी. शौर्य का घुटना छिल गया था और उसके टखने पर मोच आ गयी थी. उन्होंने शौर्य की मम्मी की पट्टी बांधने में मदद की. शौर्य को अपने व्यवहार पर बहुत अफ़सोस हो रहा था. जिन्हें वो अपना दोस्त मानता था वो कोई उसकी मदद को नहीं आया.

शौर्य चोट की वजह से स्कूल नहीं जा पा रहा था. ध्रुव रोज स्कूल से लौटते ही उसे होमवर्क देने आता. आज वो भीगा हुआ आया और दरवाजे पर ही खड़ा रहा. “ध्रुव ! तुम रेन कोट में भीग कैसे गए ?”-शौर्य की मम्मी ने होमवर्क की फोटो खीचते हुए कहा
“आंटी रेनकोट में छेद हो गये हैं, उसमें से पानी आता है और बैग में भी चला जाता है. आई ने बोला है नया रेनकोट दिलाएगी वो ! आप जल्दी से होमवर्क की फोटो ले लो”उसके जाने के बाद शौर्य गुमसुम सा बैठा रहा. उसने हमेशा ध्रुव को इग्नोर किया पर बुरे वक़्त में वही उसके काम आया. भले ही उसके पास बहुत पैसा नहीं पर उसका दिल बहुत बड़ा है. उसने ध्रुव का दिया गिफ्ट अलमारी की नीचे वाली दराज से निकल कर खोला. उसमें हाथ से बनाया हुआ एक बॉक्स था. उसने मुस्कराते हुए उस बॉक्स को अपनी स्टडी टेबल पर रख लिया और अपनी सारी रबर और शार्पनर उसमें भर दिए.
वो अपने बिस्तर पर पड़ा पड़ा सोचता रहा. शाम को जब उसके पापा ऑफिस लौटे और उसके पास आये तो वो बोला- “ पापा, मैं ध्रुव को एक रेनकोट गिफ्ट करना चाहता हूँ”
उसके मम्मी पापा के होंठों पर हंसी तैर गयी. शौर्य की ऑंखें गीली थीं.

इरा टाक
 




 

1 comment:

  1. बहुत शानदार। बहुत कुछ इंस्पायर करती हैं कहानी

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