Monday 3 July 2017

इससे पहले कि मौत हमें पी जाये, चलिए ज़िन्दगी खुल के जी जाये !

ज़िन्दगी जीने के हज़ार फलसफे हैं. कितनी भी कोशिश कर लो ज़िन्दगी एक ढ़र्रे पर नहीं चल पाती, ये गाड़ी कई कई बार पटरी से उतर जाती है. कितनी भी तैयारी कर लो ज़िन्दगी नए सवाल के साथ परीक्षा लेती है. हर किसी के लिए एक अलग सिलेबस जो एग्जाम टाइम में ही पाता लग पाता है.

पर फिर भी अपार संभावनाएं हैं, इस ज़िन्दगी में , हम जितना चाहें हासिल कर सकते हैं. अक्सर लोग अतीत को याद करने में अपना वक़्त बिता देते हैं, कुछ भविष्य के चिंतन में लगे रहते हैं. अतीत की तरफ बार बार मुड़ कर देखने से या भविष्य की चिंता का बोझ सर पर लादे रहने से हमारी रफ़्तार कम हो जाती है. इसलिए वर्तमान में रहना, ज़िन्दगी जीने का सबसे सरल उपाय है. जब अँधेरा गहनतम हो तब निराश होने की बजाय उस वक़्त को याद करेंजब पहले इससे भी गहन अँधेरे से निकल आप रोशनी में आये थेपैरों में गति आ जायेगी और रोशनी की तरफ फासला कम होता नज़र आएगा...! बस याद रखिए, " ये भी गुज़र जायेगा ". कैसा भी वक़्त हो गुज़र जाता है इसलिए सुख में होश न खोना और दुःख में हिम्मत ! जब सब खो जाता है तब भी अगर हिम्मत बची रहे तो वो सब वापस दिलाने की काबिलियत रखती है.
    जीवन में एक लक्ष्य हो, अनुशासन हो और उस लक्ष्य के लिए किसी भी हद तक जाने का जुनून हो. अगर आप हमेशा ये जानने में इच्छुक रहेंगें कि दुनिया वाले आपके लिए क्या सोचते हैं तो यकीन मानिए अपने मन की शांति खो देंगे. काम करने क्षमता कम हो जाएगी, व्यस्त रहिये, मन के मौसम को बसंत मोड पर बनाये रखिये.
वक़्त बीतने के साथ साथ... कोई निखरता है ...कोई बिखरता है ...कोई सोना बनता है... कोई मिट्टी हो जाता है ..निर्भर सिर्फ आपकी क्षमताओ पर है ...इसलिए मुस्कराइए , विश्वास रखिये अपने सपनों पर, कोई साथ दे या न दे आपको अपना साथ देना है.
जो आप सोचते हैं वो सच भी होगा . इसलिए डरे नहीं, डर कर रोज़ मरें नहीं. यही फलसफा है मेरी ज़िन्दगी का...
इससे पहले कि मौत हमें पी जाये
चलिए ज़िन्दगी खुल कर जी जाये

इरा टाक - लेखक, चित्रकार , मुंबई

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