Thursday 29 June 2017

भूख धर्म से बड़ी है

पेंटिंग - इरा टाक - जलरंग 
जैसे जैसे मुझ में समझ आती गयी, जात पात, धर्म से मेरा विश्वास उठता गया. मुझे भी बचपन से जातियों का भेद समझाया गया, छोटी जात, बड़ी जात बतलाया गया पर बचपन में भी मैंने ये भेद कभी स्वीकार नहीं किया. मैंने इंसान को उसकी जाति या धर्म से नहीं बल्कि उसकी अच्छाई या बुराई से जानना सीखा.
आज मेरे लिए केवल एक धर्म और एक जात है और वो है इंसानियत. मैं किसी धर्म की विरोधी नहीं पर धर्म के नाम पर हो रही हिंसा, राजनीति और वहशियत का मैं विरोध करती हूँ. काश हर आदमी चाहे वो किसी भी मजहब को मानने वाला हो उस मजहब की असली शिक्षा को समझ पाता. कोई धर्म किसी दूसरे के लिए खतरा नहीं , ये सिर्फ उस तरह है जैसे मुझे लाल रंग पसंद है, और तुम्हें हरा या पीला !
ये विश्वास की बात है. आखिर में रंग मिल इन्द्रधनुष ही बनाते हैं. 
धर्म को बचाने से भी बड़ी ज़िम्मेदारी है "इंसानियत" को बचाने की. ऐसा न हो कि सभ्य बनने की बजाय हम सब बर्बर होते जाएँ ! धर्म से बड़ी ज़रूरत "रोटी" है. समझ नहीं आता इन मूलभूत समस्यों को भूल लोग धर्म-जाति के नाम पर क्यों मूर्ख बनते आ रहे हैं ? "भूख" से बड़ी समस्या क्या है ? लोग बेरोजगार हैं , हत्याएं, लूट, बलात्कार हो रहे हैं . मंदिरों / मस्जिदों/गिरजों / गुरुद्वारों  में भगवान/ खुदा/ गॉड/ वाहे गुरु  सुरक्षित हैं  और सड़कों पर लोग मर रहे हैं . क्या यही है धर्म ? क्या ऐसा ही समाज आप और हम अपनी नस्लों को देना चाहते. बुरा करने वाला खुद भी बुराई का शिकार होता है. जो जहर फैलाते हैं किसी दिन वो जहर उन्हें भी पीना पड़ जाता है .
प्रयास हम सबको करने होंगे, अपने घरों से, मोहल्लों से, गाँव , कस्बे, शहरों से..केवल हाथ में तख्तियां और मोमबत्तियां लेकर नहीं बल्कि अपने सामने हो रहे गलत को रोक कर...उसे नज़रंदाज़ कर के नहीं बल्कि किसी शिकार होते इंसान को बचा कर...वरना ये आग हमारे घरों तक भी आ जाएगी 
#NotInMyName
#SaveTheHumanity
#EraTak

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