पौधा
एक कोमल नन्हा प्रेम का पौधा रोपा था, दोनों ने मिल कर । दोनो उसमे पानी डालते, उस गमले में उग आई खर पतवार को वक़्त -वक़्त पर साफ़ करते रहते।
लेकिन फिर लड़का लापरवाह हो गया वक़्त नहीं था उसके पास …लड़की अकेले संभालने लगी उस पौधे को …वो अपने कई ज़रूरी काम छोड़ देती पर पौधे का हमेशा ध्यान रखती ।
लड़का वैसा ही बना रहा …काम बहुत था उस पर और प्रेम करने के लिए सहूलियत के दायरे से निकलना उसकी फितरत में न था …उसे सिर्फ अपने सपने दीखते थे ।एक दिन लड़की का धैर्य चुक गया …उसने पौधे का ध्यान रखना छोड़ दिया ,पौधा सूखने लगा ।दूरियां बढ़ने लगी और एक ख़ामोशी पसरने लगी उनके बीच !…...
लेकिन फिर लड़का लापरवाह हो गया वक़्त नहीं था उसके पास …लड़की अकेले संभालने लगी उस पौधे को …वो अपने कई ज़रूरी काम छोड़ देती पर पौधे का हमेशा ध्यान रखती ।
लड़का वैसा ही बना रहा …काम बहुत था उस पर और प्रेम करने के लिए सहूलियत के दायरे से निकलना उसकी फितरत में न था …उसे सिर्फ अपने सपने दीखते थे ।एक दिन लड़की का धैर्य चुक गया …उसने पौधे का ध्यान रखना छोड़ दिया ,पौधा सूखने लगा ।दूरियां बढ़ने लगी और एक ख़ामोशी पसरने लगी उनके बीच !…...
एक दिन लड़के को अकेलेपन का अहसास हुआ ,उसने वक़्त निकाला,सोचा आज पौधे की देखभाल की जाये ।लेकिन ये क्या .. !
पौधा तो सूख चुका था …उसने खाद डाली ... पानी डाला ।पर फिर पौधे में जीवन न लौटा … दोनों बहुत दुखी थे !
पौधा सूख गया था और जीवन दोबारा नहीं आता ..लड़की बहुत दूर जा चुकी थी
इरा टाक ~ET~
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