Sunday 8 January 2012

कुछ बात बने...

ख़ामोशी मुझे अब समझ नहीं आती
लफ्जो में कहो तो कुछ बात बने
बहुत जी चुके हैं  गुमनामी के अंधेरो में
रोशनी में ले चलो तो कुछ बात बने
बहुत सुन चुके हैं खामोशियाँ वीरानो की
अब कहकहो में ले चलो तो कुछ बात बने
जी है जिंदगी अब तक दूसरो की खातिर
अब कोई मेरे  लिए जिए तो कुछ बात बने
दोस्ती मुहब्बत  सिर्फ किताबो में पढ़ते आये है
जिंदगी में उतर आये तो कुछ बात बने
तुम तो कहते आये हो कुछ बात है मुझमे
अब सारा जमाना कहे तो कुछ बात बने


इरा टाक 

2 comments:

  1. जी है जिंदगी अब तक दूसरो की खातिर
    अब कोई मेरे लिए जिए तो कुछ बात बने

    ....बहुत खूब! सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  2. खामोशी का अपना अलग मजा होता है.......

    ReplyDelete

Even A Child Knows -A film by Era Tak