एक अनदेखा अनछुआ सा ख्वाब है तू
मेरी शामो सहर में शामिल अहसास है तू
तुझे पाने की तमन्ना ऐसी है मुझको
जैसे तपती जमी पे कोई सैलाब है तू...इरा
मेरी शामो सहर में शामिल अहसास है तू
तुझे पाने की तमन्ना ऐसी है मुझको
जैसे तपती जमी पे कोई सैलाब है तू...इरा
इरा टाक लेखक, फिल्मकार, चित्रकार हैं. वर्तमान में वो मुंबई में रह कर अपनी क्रिएटिव तलाश में लगी हुई हैं . ये ब्लॉग उनकी दुनिया की एक खिड़की भर है.
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