जरा देखो ये कैसे ज़माने के दस्तूर है...चुप थे तो कहते थे क्यों घुटती हो मन में
अब जब कह देते है तो कहते है कि मुहजोर है...इरा
अब जब कह देते है तो कहते है कि मुहजोर है...इरा
इरा टाक लेखक, फिल्मकार, चित्रकार हैं. वर्तमान में वो मुंबई में रह कर अपनी क्रिएटिव तलाश में लगी हुई हैं . ये ब्लॉग उनकी दुनिया की एक खिड़की भर है.
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