#रात_पहेली #दूसरा_संस्करण से कहानी #लव_डांवाडोल का एक अंश...
"रोहिणी द्वंद्व में फंस गयी। उसने कई बार अपने आप को समझाया। पवन की कोई गलती नहीं। उसके प्यार में कोई कमी नहीं थी । दोनों एक दूसरे के साथ खुश भी थे पर फिर क्यों वो अचानक रोहित की तरफ झुकने लगी थी। उसे पवन के कहे हर शब्द से एलर्जी हो रही थी जैसे वो उसके लिए कोई राह चलता अजनबी हो !
कई बार प्रेम अकेलेपन से बचने का उपाय होता है...
“जो हमें बेहद चाहे उसके प्रेम में पड़ जाना”
हम उसका साथ भी देते हैं, ख्याल भी रखते हैं। लेकिन जैसे ही किसी से प्यार वाला कनेक्शन महसूस होता है पहले वाला प्रेम हवा हो जाता है क्यूंकि वो प्रेम नहीं था खुद को खुश रखने का केवल एक तरीका भर था।
जैसे बारिश में अक्सर किसी बस स्टॉप, पेड़ या झोंपड़ी की शरण ले ली जाती है पर वहां घर नहीं बसाया जा सकता। ठीक ऐसी ही रोहिणी की मनोस्थिति थी। विशाल के दिए दर्द से बचने का इलाज़ उसने पवन में ढूंढा। क्यूंकि वो खुद को अकेलेपन से बचाना चाहती थी और उस दर्द को भूल भी गयी। रोहित से मिलने के बाद उसने उसी प्यार को महसूस किया जो कभी वो विशाल के लिए महसूस करती थी।
कई बार किसी को खोने के डर से लोग किसी से जुड़ तो जाते हैं पर उनके अन्दर एक अफ़सोस.. एक खालीपन बना रहता है। उसका यही खालीपन रोहित के मिलने से भर गया था। उसका अफ़सोस दूर हो गया । जैसे पहली नज़र का प्यार हो, रोहित तेज़ नशे की तरह उसके दिमाग पर चढ़ गया था। रोहित को उसका दिल और दिमाग पूरे मन से स्वीकार कर रहा था !"
पूरी कहानी पढ़ने के लिए अपनी प्रति अमेज़न या फ्लिप्कार्ट पर बुक कराएँ -
"रोहिणी द्वंद्व में फंस गयी। उसने कई बार अपने आप को समझाया। पवन की कोई गलती नहीं। उसके प्यार में कोई कमी नहीं थी । दोनों एक दूसरे के साथ खुश भी थे पर फिर क्यों वो अचानक रोहित की तरफ झुकने लगी थी। उसे पवन के कहे हर शब्द से एलर्जी हो रही थी जैसे वो उसके लिए कोई राह चलता अजनबी हो !
कई बार प्रेम अकेलेपन से बचने का उपाय होता है...
“जो हमें बेहद चाहे उसके प्रेम में पड़ जाना”
हम उसका साथ भी देते हैं, ख्याल भी रखते हैं। लेकिन जैसे ही किसी से प्यार वाला कनेक्शन महसूस होता है पहले वाला प्रेम हवा हो जाता है क्यूंकि वो प्रेम नहीं था खुद को खुश रखने का केवल एक तरीका भर था।
जैसे बारिश में अक्सर किसी बस स्टॉप, पेड़ या झोंपड़ी की शरण ले ली जाती है पर वहां घर नहीं बसाया जा सकता। ठीक ऐसी ही रोहिणी की मनोस्थिति थी। विशाल के दिए दर्द से बचने का इलाज़ उसने पवन में ढूंढा। क्यूंकि वो खुद को अकेलेपन से बचाना चाहती थी और उस दर्द को भूल भी गयी। रोहित से मिलने के बाद उसने उसी प्यार को महसूस किया जो कभी वो विशाल के लिए महसूस करती थी।
कई बार किसी को खोने के डर से लोग किसी से जुड़ तो जाते हैं पर उनके अन्दर एक अफ़सोस.. एक खालीपन बना रहता है। उसका यही खालीपन रोहित के मिलने से भर गया था। उसका अफ़सोस दूर हो गया । जैसे पहली नज़र का प्यार हो, रोहित तेज़ नशे की तरह उसके दिमाग पर चढ़ गया था। रोहित को उसका दिल और दिमाग पूरे मन से स्वीकार कर रहा था !"
पूरी कहानी पढ़ने के लिए अपनी प्रति अमेज़न या फ्लिप्कार्ट पर बुक कराएँ -
No comments:
Post a Comment