रस्क खाता लाचार आदमी ....
किसी सरकारी अस्पताल के सामने
चाय की थड़ी पर
बगल में रिपोर्ट्स और दवाइयाँ दबाये हुए
एक लाचार आदमी
चाय में डुबो रस्क खाता है
चार दिनों से यही खा
अपनी भूख से लड़ता
अंदर जनरल वार्ड में भर्ती
माँ के इलाज़ के लिए पैसे बचाता
चाय की थड़ी पर
बगल में रिपोर्ट्स और दवाइयाँ दबाये हुए
एक लाचार आदमी
चाय में डुबो रस्क खाता है
चार दिनों से यही खा
अपनी भूख से लड़ता
अंदर जनरल वार्ड में भर्ती
माँ के इलाज़ के लिए पैसे बचाता
बहन वही फर्श पर दरी डाल
माँ के साथ आठों पहर
सुनती है नर्सों की फटकार
माँ के साथ आठों पहर
सुनती है नर्सों की फटकार
पिता गांव में कर रहा है
भूखे मवेशियों की देखभाल
काट रहा है चक्कर
बर्बाद फसलों के मुआवज़े को
भूखे मवेशियों की देखभाल
काट रहा है चक्कर
बर्बाद फसलों के मुआवज़े को
बीवी तंगहाली से रूठ मायके
चली गयी, पोटली में बांध
उसकी बची- खुची ख़ुशियाँ
रस्क खाते आदमी के चेहरे पर
सूखी ज़मीन की तरह दरारें हैं
जिसमें भर जाता है खारा पसीना
और जम है सफ़ेद परतों में
चली गयी, पोटली में बांध
उसकी बची- खुची ख़ुशियाँ
रस्क खाते आदमी के चेहरे पर
सूखी ज़मीन की तरह दरारें हैं
जिसमें भर जाता है खारा पसीना
और जम है सफ़ेद परतों में
रस्क खाता आदमी खौलती चाय में
झुलसता महसूस करता है खुद को
कुर्ते की जेब में पड़े चार सौ अस्सी
रुपयों को टटोल तसल्ली करता है
भाग जाना चाहता है वो सब छोड़
काफी होंगे दिल्ली तक किराये को !
झुलसता महसूस करता है खुद को
कुर्ते की जेब में पड़े चार सौ अस्सी
रुपयों को टटोल तसल्ली करता है
भाग जाना चाहता है वो सब छोड़
काफी होंगे दिल्ली तक किराये को !
Era Tak
लाजवाब
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