Friday 3 November 2017

एक स्त्री का बयान - इरा टाक

पेंटिंग - इरा टाक 
कुछ नहीं थी मैं 
महज एक देह से
ज्यादा
हो सकती हूँ
बहुत कुछ
इस विश्वास
ने जिंदा रखा मुझे
और मेरी जिद ने
अपने सपनों के लिए
संघर्ष करना सिखाया
जो जी रही हूँ अब
देह और आत्मा पर
पूर्ण अधिकार के साथ  
मेरे जीवन का
सुन्दरतम समय है !


-इरा टाक   

3 comments:

  1. वाह सकारात्मक नज़रिया ही किसी भी काम को आधा पूर्ण कर देता है | बहुत सुन्दर जी |

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  2. सपनों को जीने की ज़िद...वाह

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  3. आपकी कलाकृतियाँ अच्छी लगतीं हैं।
    मैं भी कोशिश में हूँ,
    और आपसे कुछ ज्ञान पाने की चित्रकारी के संबंध में अभिलाषा है।
    अगर हो सके तो!

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