Monday 1 December 2014

लव इन क्राइसिस -इरा टाक


वैभवी की प्रवीण से कई दिनों से अनबन चल रही थी , दोनों गुडगाँव में एक ही फर्म में काम करते थे ,यही मुलाकात हुई ,दोस्ती हुई, फिर प्यार हो गया । दोनों अपने अपने शहरों से दूर थे ,तो किसी के रोकने टोकने या बदनामी का  डर नहीं था,इसलिए साथ ही रहने लगे।पिछले एक महीने से प्रवीण की कंपनी में नयी आई लड़की प्रीती से ज़्यादा ही बोल चाल थी, इस वजह से वैभवी नाखुश थी ,दोनों में इस बात को लेकर कई बार झगड़ा हो चुका था
"यार बात कर लेने से क्या अफेयर हो जाता है ? "
"
बात करने और नज़र का फ़र्क़ मालूम है मुझे ...आई एम नॉट फूल "
"
प्लीज वैभवी ...स्टॉप बीहविंग  लाइक नैरो माइंडेड फेलो ! "
"
ओह्ह ..आई एम नैरो माइंडेड ...? गो एंड लाइव विथ हर.. . गेट आउट फ्रॉम माय रूम " ,
"
ओके ... आज ही शाम को मैं रवि के साथ शिफ्ट हो जाऊंगा... मैं तुम जैसी शक्की लड़की के साथ रह भी नहीं सकता "
"
हाँ जाओ ..तुम तो अलग होने का बहाना ही ढूंढ रहे थे " वैभवी ने रोते हुए कहा
"
अरे ... यार ... तुमसे से भगवान भी नहीं जीत सकता " वो  दरवाज़ा पटकते हुए चला गया

उस दिन ऑफिस भी दोनों अलग अलग गए ।लंच टाइम में जब वैभवी प्रवीण के पास आ रही थी, तो उसने प्रीती को प्रवीण के डेस्क पर झुके हुए बात करते पाया, वैभवी दनदनाती हुई कैंटीन की ओर बढ़ गयी।
"बस शाम को महाभारत लिए एक बड़ी वजह मिल गयी " सोचते हुए प्रवीण भीतर तक सिहर गया
प्रीती बहुत मॉडर्न थी ,ऑफिस में सब से बड़े घुल मिल कर बात करती थी ,प्रवीण के मन में ऐसा कुछ नहीं था ,वो केवल वैभवी को ही प्यार करता था ,पर प्रीती से थोड़ा बहुत हँसी मज़ाक कर लेने में वो कोई बुराई नहीं समझता था। साथ काम करते है तो अवॉयड भी नहीं कर सकते ..बातचीत या कॉफ़ी तो हो ही जाती है। उसे वैभवी का बात बात पर शक करना बिलकुल पसंद नहीं था ,वो कभी उसे नहीं रोकता था, जबकि राहुल वैभवी का कई सालो से दोस्त था ,कई बार उसके साथ शॉपिंग या फिल्म भी चली जाती थी, पर  प्रवीण ने कभी उसे नहीं टोका।विश्वास तो करना पड़ता है, वरना तो जीना ही मुश्किल हो जाये ।
    एक बार गलती से उसके मुँह से राहुल के बारे में कुछ निकल गया था, तो वैभवी ने रो रो कर तूफ़ान खड़ा कर दिया था
"तुम मुझ पर शक करते हो ? मैंने सारी दुनिया से पंगा लिया,तुम्हारे साथ रह रही हूँ..राहुल तो मेरे भाई जैसा है ... हाउ मीन यू आर !"

बस उस दिन से तौबा कर ली ...
प्रीती से पीछा छुड़ा कर वो कैंटीन की तरफ भागा,वैभवी कहीं नज़र नहीं आई।कैंटीन में सब उसे ऐसे घूर रहे थे ,जैसे अभी अभी उसका किया कोई बड़ा घोटाला उजागर हुआ हो !झेंपता हुआ वहाँ से बाहर आ गया, फ़ोन किया तो वैभवी ने रिसीव भी नहीं किया । मूड बहुत खराब था ,अपने बेस्ट फ्रेंड रवि को ऑफिस के बाद मिलने को फ़ोन किया,रवि से इसी कंपनी में मिला था, दोनों ने साथ ही ज्वाइन किया था, वैभवी के साथ शिफ्ट होने से पहले वो रवि के साथ ही कमरा शेयर करता था।अब तो रवि ने इन्स्टालमेन्ट पर गुडगाँव में ही एक छोटा फ्लैट खरीद लिया है  , दो महीने पहले ही उसने दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया है,रोज़ मेट्रो से नोएडा जाता है ,साथ था तो सपोर्ट रहता था।

"सारा दिन खराब हो गया यार ! ,बॉस से डांट भी पड़ी ,ये लड़की समझती नहीं। इस तरह रोज़ के झगड़े से मेरा काम सफर हो रहा है... इसे तो कोई कुछ कहता नहीं ,भले ही काम करे या न करे! उल्टा बॉस कॉफ़ी भी पिलाता है " प्रवीण बियर का पहला घूँट लेते ही फट पड़ा।
"हूँ ...." रवि ने बियर में ऊँगली डाल के कुछ छींटे अपने पुरखों को समर्पित किये।
"यार रवि ! नरक बना के रख दी है ज़िन्दगी ... मैं किसी लड़की से बात भी कर लूँ तो फ्लर्टिंग और खुद १०० लड़को से बात करे तो नार्मल बात ! इस लड़की के फंडे अजीब हैं !"
रवि ने सर हिलाते हुए मामले की गंभीरता को तोलने का प्रयास किया।
"कुछ बोलेगा भी  ... या स्प्रिंग लगी मूर्ति की तरह मुंडी हिलाता रहेगा ..?मैंने तो सोच लिया है ,मैं आज से तेरे साथ शिफ्ट हो रहा हूँ ...किराया ले लियो यार "
" देख यार इतनी जल्दी फैसला मत ले... मैं उससे बात करता हूँ ... समझदार लड़की है, प्यार में अक्सर लड़कियां इनसिक्योर हो जाती हैं । संडे को मिलते हैं ... और किराये की क्या बात है तेरा ही घर है ,जब मर्जी आ जा पर उससे अलग हो कर नहीं ! "
रवि ने वैभवी को फ़ोन करके समझाया और संडे को साथ डिनर के लिए मना लिया।
रवि के बीच बचाव की वजह से रात कर्फ्यू वाले तनाव के साथ गुजर गयी।
सुबह प्रवीण की नींद वैभवी के गुनगुनाने की आवाज से खुली....
"आजकल तो रोज बर्तन सिंक में पटकने की आवाज़ से आँख खुलती थी,आज ये परिवर्तन कैसे हुआ" सोचते हुए उसने बाहर झाँकने की कोशिश की
तभी उसे वैभवी चाय का कप लाती हुई दिखाई दी ,उसने तुरंत आँख बंद करके सोने का अभिनय किया।
"गुड मॉर्निंग  डिअर ... उठो न जान !"
"हे भगवान! ..ये चमत्कार कैसा ? १५ दिनों से तो मैं खुद चाय बना के पी रहा हूँ " उसने थोड़ा हिलते डुलते हुए सोचा

" आई लव यू शोना ... चाय पीलो फिर ज़रा घर साफ़ करा दो ... " वैभवी के उसे किस करते हुए कहा
"शोना ..! इस शब्द से ही उसे चिड़ थी ,पता नहीं ये लड़कियां इतनी फिल्मी क्यों होती हैं ..जब से "ओ शोना" वाला गाना फिल्म में आया है सारे प्रेमी प्रेमिका शोना ही हो गए हैं मानो अब और किसी नाम की तो ज़रूरत ही नहीं रही !

" ओके हनी .. कोई ख़ास बात ? " उसने अपनी शोना वाली चिड़ को दबाया और बड़े सोच समझ के शब्द मुँह से निकाले ..कहीं कुछ गलत निकल गया तो फिर से  "अथ श्री महाभारत कथा" वाला सीन चालू हो सकता है
"आज शाम को जयपुर से मेरी कजिन और उसकी फ्रेंड एग्जाम देने आ रही हैं ..अभी उसका कॉल आया ,सैटरडे- संडे यही रहेंगी,मंडे को वापस जाएँगी। तुम २-३ दिन रवि के घर रह लेना जानू ! " 
"तभी इतना प्यार उमड़ रहा है ... चलो अच्छा है २-३ दिन शांति से कटेंगे..कई दिन हो गए दोस्तों के साथ दारू पिए ! शाम को सुरेश ,विक्की,अमित सभी को रवि के घर बुला लूंगा और फिर पार्टी आल नाईट ..पार्टी आल नाईट ... " सोचते हुए वो थिरकने लगा
वैभवी के देख लिए जाने से पहले उसने अपनी थिरकन को रोका
और मुँह लटका के उसे हग करते हुए बोला ...
"ओह्ह बेबी ..तुम्हे पता है न मुझे तुमसे दूर रहना रहना पसंद नहीं ।उन्हें कह दो कहीं होटल में रुक जाएँ ! कह दो तुम आउट ऑफ़ टाउन हो "  
" आई नो बाबू ... ! पर ख़ास कजिन है मना नहीं कर सकती .."

"और ये दूसरा शब्द बाबू ...भारत के सभी प्रेमियों का सबसे प्रचलित नाम ! अरे मेरा नाम प्रवीण है प्रवीण...कभी तो बोल दिया करो ..कहीं ऐसा न हो ,मैं सबको अपना नाम "शोना बाबू गुप्ता" ही बताने लगूं " वो सुलग़ा

"प्लीज मैनेज कर लो ..२-३ दिन की ही तो बात है ..वैसे भी तुम कब से अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने नहीं गए ! "

"मौसम भी हार जाये इसके आगे तो ,इतनी तेज़ी से बदलती है ,पहले कभी दोस्तों के साथ जाने को पूछा तो "मेरे होते हुए अब भी तुम्हे दोस्तों के साथ आवारागर्दी करनी है ... ? ऐसा ही था तो साथ क्यों आये रहने ,डोलते रहते उन्ही के साथ ..! शरीफों की तरह बंध के रहना तो पसंद नहीं तुम्हे ! मैं यहाँ अकेले स्टार प्लस पर मूवी देखूं और तुम दोस्तों के साथ दारू पीकर लड़कियां ताड़ो ! " सोचते हुए प्रवीण ने झाड़ू उठा लिया और सफाई में लग गया।
    वैभवी किचेन में थी ,और वहाँ से लगातार उसे इंस्ट्रक्शंस दिए जा रही थी...
"बाबू ..ज़रा डस्टिंग भी कर देना ..पहली बार आ रही हैं... हमारा घर साफ़ दिखना चाहिए न ! "
"जी मैडम ..जैसा आप कहें " ३ दिन की आज़ादी के लिए डस्टिंग करना कोई बड़ी कीमत नहीं लग रही थी।

"और ज़रा जाले भी साफ़ कर देना ..मेरा तो हाथ पहुँचता ही नहीं इतना ऊपर ! "
"ओके डार्लिंग ..! "
"शुक्र है आज प्रीती का इशू नहीं उठा ..वरना बार बार उसका नाम सुनके लगने लगा था कि कहीं सच में तो मुझे उससे प्यार नहीं हो गया "वो मन ही मन मुस्कराया
" प्लीज बेड शीट भी चेंज कर देना ..वो वाली बिछाना, जो अपन स्लीपवेल शो रूम से लाये थे "

सफाई का काम निपटा के जब वो नहा के तैयार हुआ तो बढ़िया नाश्ता उसका इंतज़ार कर रहा था
"मेहनत का फल इतना मीठा होता है आज पता चला " उसने हँसते हुए कहा

वैभवी शरमा गयी... "ऐसे कह रहे हो जैसे पहले मैंने कभी कुछ अच्छा बनाया ही नहीं

उसका बैग वैभवी ने पहले ही पैक कर दिया था ,बस अब कार में रखना बाकी था।उस छोटे से वन रूम सेट से प्रवीण के साथ रहने के सारे निशान मिटा दिए गए थे ,आखिर कजिन आ रही है भनक भी पड़ गयी तो १ घंटे में सारे कुनबे को खबर हो जाएगी कि लड़की लिव- इन में रह रही है,बिगड़ चुकी है।
 प्रवीण को ऐसी फीलिंग हो रही थी जैसे बरसो बाद वो अपने मायके जा रहा हो ..आज पता चला कि लड़कियां मायके जाने के नाम पर इतनी खुश क्यों होती हैं  ..? और उनके पति इतने रिलेक्स क्यों होते हैं ... आज़ादी ..आज़ादी ....आज़ादी !
सोचते हुए उसने एक गहरी साँस ली और अपने फेफड़ों को भर लिया आनंद से....।

 ऑफिस से जल्दी आकर वैभवी लड़कियों को लेने चली गयी, विभा उसके चाचा की बेटी थी और ऋचा विभा की दोस्त, दोनों की उम्र  लगभग २२-२३ साल के आस पास थी।लड़कियां अपनी दीदी की स्मार्टनेस देख कर बहुत प्रभावित हुई !

"इतने बड़े शहर में अकेले ,कैसे मैनेज करती हो दीदी..? वो तो हम दो थे तो बड़ी मुश्किल से पापा ने अकेले भेजा "

"अरे अकेले रहने में बड़ा मजा है ,अपने हिसाब से रहो..अपना कमाओ ..उड़ाओ ...कोई खिट खिट नहीं " वैभवी इतराते हुए बोली

"सच्ची दी ... हमे भी यही जॉब मिल जाये तो हम भी यही आ जाये ... " विभा ने प्यार जताते हुए कहा।

"अच्छा...अच्छा ... अब तुम लोग खाना खा के, पढ़ने बैठ जाओ ..कल एग्जाम के बाद हम घूमने चलेंगे "

    अगले दिन लड़कियों को उनके एग्जाम सेंटर तक पहुँचने के बाद वैभवी ने वापस घर आकर एक किताब उठा ली "द काइट रनर "..
प्रवीण ने उसे फर्स्ट डेट पर गिफ्ट की थी ,पर आजतक एक पन्ना खोलने की नौबत नहीं आई !

"कभी-कभी अकेले रहना भी कितना अच्छा लगता है..! प्रवीण के आने के बाद से मैं अपने पढ़ने का शौक बिलकुल ही भूल गयी,हर शनिवार रात डिस्को या पब ,संडे को दोपहर तक सोना और शाम होते ही फिर बाहर घूमने निकल जाना ,सच यार इतना आज़ाद और इंडिसीप्लिन होना भी ठीक नहीं...बेचारे प्रवीण को तो घूमने का शौक भी नहीं था उसी ने लड़ लड़ के आदत डाली " उसे खुद से नाराजगी हुई।

दोपहर भर वो पढ़ती रही फिर कुछ हल्का फुल्का खा कर सो गयी ,शाम को डोर बेल की आवाज से उसकी नींद खुली।विभा और ऋचा वापस आ गयी थी।
"वापस लौटने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई "उसने चाय चढ़ाते हुए पूछा
"नहीं दीदी एकदम सीधा रास्ता था ..अपने तो एकदम बढ़िया रूट बताया था ..ऑटो वाला ज़्यादा माँगा रहा था ,पर मैंने बोला अंकल जी मेरा रोज़ का आना जाना है तो चुपचाप ५० रुपये में मान गया " विभा बोली
"चलो बढ़िया है ..एग्जाम कैसा हुआ दोनों का "
"एकदम मस्त !"दोनों साथ चहक उठी
"ठीक है अब दोनों फ्रेश हो लो ,फिर कहीं चलते हैं "

वैभवी ने ब्लू जीन्स और काले रंग का फ्रिल वाला स्लीवलैस टॉप पहना।सलवार सूट पहने हुए दोनों लड़कियों को अपने गंवारपने  का अहसास हुआ।उनकी बड़ी इच्छा करती थी, वेस्टर्न कपडे पहनने की ,पर ऋचा तो कस्बे से थी,उसके घर में ऐसे कपड़ों कि सख्त मनाही थी और विभा की अभी हाल ही में सगाई हुई थी और ससुराल वालो की खास हिदायत थी कि अब वो सिर्फ सलवार सूट ही पहने।

"वाओ दी आप तो एकदम कैटरीना लग रही हो "ऋचा बोली
"चुप कर !मेरी दीदी के सामने क्या कैटरीना क्या करीना ..मेरी दी तो सबसे ज़्यादा सेक्सी लगती हैं " विभा ने कहते हुए आँख मारी

घर के पास ही पिज़्ज़ा हट था ,वहां पिज़्ज़ा खाते हुए फिल्म देखने का प्लान बन गया।बस फिर क्या था लड़कियों ने ऑटो पकड़ा और फन सिनेमा पहुंच गयी।
भीड़ काफी थी एक तो संडे का दिन और ऊपर से आमिर खान की गजनी लगी हुई थी ,लाइन में ही ४-५ लड़के गजनी स्टाइल कट में नज़र आ गए थे।जब तक टिकट का नंबर आया,तब तक तो गजनी हॉउसफुल हो चुकी थी । अब इतना दूर आकर बिना मूवी देखे वापस लौटना मूर्खता लगता था, तो "रब ने बना दी जोड़ी" पर समझौता कर लिया।

हॉल में लड़कियां और जोड़े कम ही थे ,सारी भीड़ तो गज़नी ने खींच ली थी ,लड़के बड़ी हूटिंग कर रहे थे , वैभवी को तो आदत थी पर विभा और ऋचा बड़ी परेशान हो रही थी। इंटरवल में लड़कियों ने कोक और पॉपकॉर्न आर्डर किये, हालांकि ठण्ड का मौसम था पर आजकल तो ठण्ड में भी ठंडा पीने का चलन है।
   पिक्चर ठीक  ठाक थी,कहानी में खास नयापन नहीं था , गाने ज़रूर बढ़िया थे ,हीरो के रूप में लल्लू वाला शाहरुख़ खान लड़कियों को नहीं जमा ,वो अंत में स्मार्ट वाले डांसर शाहरुख़ को हीरोइन के साथ देखना चाहती थी।पर थे तो दोनों एक ही!
खैर पिक्चर खत्म हुई तो बाहर निकली ,बाहर काफी ठण्ड थी ,दिसंबर का महीना था, पर फैशन में लड़कियां स्वेटर कहाँ पहनती हैं ,अब ठण्ड से दाँत बजने लगे।ऑटो की तलाश की ,दूर दूर तक कोई ऑटो नहीं था
"चलो थोड़ा आगे चलते हैं शायद ऑटो मिल जाये "
सड़क सूनसान थी ,बस कुछ रिक्शे वाले ज़रूर खड़े हुए थे।पिक्चर देखने आये ज़्यादातर लोग कारों या मोटरसाइकिल पर निकल चुके थे।

"सच यार! इतनी रात में तो कार हो तभी आना चाहिए ,सर्दी के मारे मेरी जान निकल रही है ..." ऋचा ठिठुरते हुए बोली

पीछे से आती एक बोलेरो उनके पास आ कर रुक गयी ...

"अरे तो कार है न ,जान-ए-मन ... आओ सर्दी दूर कर दूँ तुम्हारी ! " एक लड़खड़ाती सी आवाज़ आई
तीनों एकदम सहम कर बर्फ की तरह जम गयीं,फिर अगले ही पल थोड़ा सँभलीं और तेज़ी से चल दीं,धड़कने दुगनी हो गयी थी ,तीनो ने एक दूसरे के हाथ थाम लिए थे।

अब बोलेरो उनके साथ साथ चलने लगी ,गाड़ी चलाने वाला बेहद खूँखार सी शक्ल का आदमी था,

"अरे रेट तो बता मेरी जान , सर्दी बहुत है ... तीनो सेट हो जाओगी "

"जा कमीने ... घर में अपनी माँ बहन की सर्दी दूर कर ...हरामी साला" वैभवी गुस्से में चिल्लाई

"बहुत बोल रही है ... इतना भाव क्यों खा रही है ..दुगना रेट दूंगा "

वैभवी ने भागने का संकेत किया ,थोड़ा आगे एक रिक्शा मिल गया , वो तीनो उस पर बैठ गयी
"चलो भैया ! इफ्को चौक " वैभवी ने हाँफते हुए कहा

रिख्शे वाले ने पैडल ही मारने शुरू किये थे कि बोलेरो झटके से आ कर रुक गयी ...

"रोक साले ... रोक ... मेरा माल लेकर किधर जा रहा है" शराब की तेज़ महक उनकी नाक में दाखिल हुई

"देखो ..हमारा पीछा छोड़ो वरना मैं पुलिस को बुला लूँगी "

" धंदे वालियां भी आजकल पुलिस बुलाने लगी "आदमी बेशरमी से हँसा

"क्या बकवास कर रहा है..हम धंदे वाली नहीं हम तो फिल्म देखने आई थी .. ऑटो की तलाश कर रहे थे "  वैभवी बोली

"अरे तो क्या हुआ ..फिल्म देख ली अब थोड़ा कमा भी लो !जान अब तो दिल आ गया है तुम पर , इतना चिकना माल "

"रिक्शे वाले तेज़ चलो" वैभवी चिल्लाई

ऋचा और विभा की तो डर के मारे जुबान ही बंद हो गयी थी

कार वाले ने हॉकी निकाल कर रिक्शे के हैंडल पर मारी ...

"रूक साले ...."

वैभवी ने हिम्मत दिखाते हुए उसकी हॉकी छीन ली और वापस उसके सर पर दे मारी।

आदमी ने सर पकड़ लिया

"साली अब नहीं छोड़ूंगा,तेरा ऐसा हाल करूँगा कि..."वो किसी को फ़ोन लगाने लगा

"जल्दी आ साले..तीन हैं....मेरा सर फोड़ दिया "

मॉल से निकलती हुई कारें उनका ये लड़ाई झगड़ा देखने को थोड़ा धीमी भी हुई,वैभवी ने उनसे रुकने का इशारा किया ,मदद के लिए चिल्लाई पर कोई कार रुकी नहीं
तभी विभा चिल्लाई...
"दीदी भागो यहाँ से ..."
वो तीनो सड़क पर भागने लगी
"चलो फ्लाईओवर पर चलो  ... वो रॉंग साइड से गाडी नहीं ला पायेगा "वैभवी ने कहा
तीनो भागती हुई फ्लाईओवर पर चढ़ गयी ,
"हमे पुलिस को कॉल करना चाहिए ..मेरा फ़ोन ? मेरा मोबाइल कहीं गिर गया " वैभवी रुक गयी

वापस लौटना ठीक नहीं था ,मोबाइल जान और इज़्ज़त से ज़्यादा कीमती नहीं था। वैभवी ने विभा के फ़ोन से पुलिस का १०० नंबर डायल किया ,सारी डिटेल बता दी ,पुलिस ने जल्दी से जल्दी पहुँचने का आस्वासन दिया
ऋचा और विभा की रो रो कर हालत खराब थी ,वैभवी हैरान परेशान सी उन्हें हिम्मत बंधा रही थी ,पर मन में वो भी बेहद डरी हुई थी। तीनो लड़कियां पसीने से भीगी हुई ,बदहवास सी फ्लाईओवर पर आती जाती गाड़ियों को रुकने के लिए कहती रहीं, मदद को चिल्लाती  रहीं, पर कोई भी उनकी मदद को नहीं रुका। किसी ने एक बार पूछने की ज़रूरत भी नहीं समझी कि इतनी रात तीन लड़कियां फ्लाईओवर पर इधर से उधर क्यों दौड़ रहीं हैं ?   
    इंसानियत मर गयी है, सब कायर हो चुकें है ,तभी आखें खुलती है जब खुद के घर में हादसा हो, संवेदनहीन समाज है  और दुर्भाग्य ये है कि हर जगह यही स्थिति है।किसी लड़की या महिला का बलात्कार और हत्या हो जाने पर लोगों का हुजूम सडको पर धरना प्रदर्शन और मोमबत्तियां जलाने निकल पड़ता है,लेकिन उससे पहले अगर उनकी आँखों के सामने भी ये अपराध हो रहा हो तो वो देख के अनदेखा करते हुए जल्दी से जल्दी निकल जाना चाहते हैं।

 
धीरे धीरे धुंध गहराती जा रही थी ,सर्द हवाएँ तीखी हो रही थी ,वैभवी खुद को कोस रही थी कि वो इन लड़कियों को यहाँ क्यों लाई ? अगर वो आदमी अपने साथिओं के साथ फ्लाईओवर पर आ गया तो ? अकेले वो कब तक मुक़ाबला कर पाएंगी ?

"ओह मैं तो भूल ही गयी .. मुझे प्रवीण को फ़ोन करना चाहिए था "
उसने विभा के मोबाइल से नंबर मिलाया ,घबराहट में उसे प्रवीण का नंबर भी ठीक से याद नहीं आ रहा था ,२-३ बार कोशिश करने पर सही नंबर लग गया 
"हेलो प्रवीण ...प्रवीण " वो घबराहट में बोली
एक सांस में सारी घटना उसे बता दी
"मैं अभी आता हूँ तुम डरो मत "
प्रवीण और उसके दोस्त रवि के घर आराम से व्हिस्की पीने में लगे थे, वैभवी के साथ हुई घटना से सब सकते में आ गए,प्रवीण का हाल बुरा हो गया क्यूंकि वो उस जगह से काफी दूर थे और वैभवी और उसकी सहेलियां अभी भी खतरे में थी।
प्रवीण ने दोबारा फ़ोन किया..
"तुम रो मत ! हम सब आ रहे हैं तुम फ़ोन पर बनी रहो.... रवि ने अपने कजिन को फ़ोन कर दिया है वो पुलिस में है अभी पीसीआर वैन पहुँचती होगी ...हिम्मत रखो "
"इसमें बैटरी कम   है ,हम  तुम्हे इन्फॉर्म करते रहंगे थोड़ी थोड़ी देर में तुम जल्दी आ जाओ ..प्लीज "कहते हुए उसने फ़ोन कट कर दिया

।  तभी फ्लाईओवर पर बाइक से आते एक लड़के ने साइड में बाइक रोकी और फ़ोन पर बात करने लगा ,शायद कोई ज़रूरी कॉल था ,फिर जैसे ही वो चलने को हुआ ,इन परेशान घबराई हुई लड़कियों पर उसकी नज़र पड़ी, वो बाइक साइड में खड़ी कर के पास आया ...
"आप लोग इतनी परेशान क्यों हैं..क्या बात है ? इतनी रात फ्लाईओवर पर ..."
"भैया..हम लोग फन सिनेमा से मूवी देख के निकले और एक आदमी हमारे पीछे पड़ गया ,बड़ी मुश्किल से भागे हैं  और शायद उसके और साथी भी आ जाये।कोई ऑटो नहीं मिला ,कोई कार नहीं रुक रही मदद को ..अभी पुलिस को फ़ोन किया है... आती ही होगी.. " वैभवी ने रुंधे गले से कहा
"देखिये आप लोग शांत हो जाइये ,मैं यही कॉल सेंटर में काम करता हूँ,मेरा नाम विकास सैनी है ," उसने अपना आई कार्ड दिखाते हुए भरोसा दिलाया
"यहाँ फ्लाईओवर पर रुकना ठीक नहीं ,सुनसान है ,कुछ भी हो सकता है ,पुलिस का इंतज़ार करना ठीक नहीं लगत,आइये मैं आपको घर छोड़ देता हूँ "
लड़कियां सोच में पड़ी देख कर वो फिर बोला ...
"अरे घबराइये मत! मैं आपके भाई की तरह हूँ .. और अगर वो लोग यहाँ आ गए तो शायद मैं भी कुछ न कर पाऊँ ..यहाँ से जाना ही ठीक होगा "
वैभवी को उसकी बात ठीक लगी, तीनो लड़कियां उसकी बाइक पर बैठ गयी।एक बार तो बेचारे का संतुलन ही बिगड़ गया,फिर उसने साधते हुए बाइक स्टार्ट की और फ्लाईओवर क्रॉस किया

। वैभवी उसे रास्ता बताती रही ,लगभग १५ मिनट में लड़के ने उन्हें सुरक्षित घर पंहुचा दिया। तीनो की आँखों में आंसू थे,
ऋचा बोली " भैया अपने बता दिया कि अभी इंसानियत पूरी तरह मरी नहीं,वरना न जाने हमारा क्या हश्र होता "
"ऐसा कुछ नहीं है ! कुछ नहीं होता ,पर आगे से ध्यान रखना वो एरिया बदनाम है ,वहां रात में सेक्स वर्कर्स आती हैं ,वैसे भी जैसा माहौल है उसमे अगर अपनी गाड़ी नहीं हो तो रात में निकलना ठीक नहीं है , हादसे बेवक़्त होते हैं "
तीनो ने सहमति में सिर हिलाया। वो लड़का चला गया ,हड़बड़ाहट में वो उसका नंबर तक नहीं पूछ सकीं ,दिल से तीनों  उस इंसान की बेहद शुक्रगुज़ार थी।
तभी विभा का फ़ोन बजा ..
"मैं इंस्पेक्टर वर्मा बोल रहा हूँ हम फ्लाईओवर पर हैं ..आप लोग कहाँ हैं "
"जी सर एक भले लड़के ने हमे घर पंहुचा दिया है ... हम सेफ हैं "
"ओके गुड .. थैंक गॉड यू आर सेफ ..पर लड़कियों आगे से ध्यान रखना,इधर का एरिया ठीक नहीं "
"सर मेरा मोबाइल वही गिर गया ..एक बार आप चेक करा लें प्लीज "
"ओके मैं दिखवाता हूँ ..नंबर बताइये "
   थोड़ी देर बाद विभा के मोबाइल पर प्रवीण का कॉल आया ...
"कहाँ हो ...हम फ्लाईओवर पर ही हैं "
"हम सेफली  घर पहुंच गए हैं ..एक लड़के ने हमे बाइक पर पहुँचाया "
"अरे यार ऐसे किसी के भी साथ कैसे आ गयी तुम लोग ,कुछ हो जाता तो ..खैर मैं आ रहा हूँ मिलने "
"नहीं ,प्रवीण अभी ११:३० हो चुके हैं अब आना ठीक नहीं ,मेरे साथ ये दोनों भी हैं न " वैभवी फुसफुसा के बोली
"यार मैं बहुत डर गया हूँ एक बार तुम्हे देखना है ... "
" ओह मेरा बच्चा ...डरो मत ,मम्मा ठीक है कल सुबह आ जाना, इन्हे जयपुर की बस में बैठाना है ...आई लव यू शोना  "
अभी "शोना" सुन कर प्रवीण को बिलकुल चिड़चडाहट नहीं हुई ,वो वैभवी के साथ हो सकने वाली दुर्घटना से बुरी तरह हिल गया था।
"आई लव यू सो मच ..प्लीज टेक केयर "
देर रात तक उन तीनो की धड़कने नार्मल नहीं हुई थी ,किस्मत थी जो बच गयीं वरना डेल्ही और एनसीआर में रोज़ कोई न कोई बलात्कार और अपहरण की घटना सुर्ख़ियों में आती ही रहती है। तभी ऋचा की नज़र वैभवी के हाथ से बहते खून पर पड़ी ,
"शायद उस आदमी से छीना झपटी में कही कट गया होगा , इतना बड़ा कांड हो जाता तो इतनी सी चोट से क्या फ़र्क़ पड़ता है.. आई आम सॉरी गर्ल्स मुझे पता होता की वो इलाका ऐसा है तो मैं कभी तुम दोनों को लेकर वहां नहीं जाती  " वैभवी ने दुखी   होते हुए बोला
"ओह दीदी इसमें आपकी क्या गलती ..आपकी बहादुरी से तो हम बच गए ,वरना तो हम तो वही रोने लगते और वो आदमी हमें उठा कर ले जाता " ऋचा ने पट्टी बांधते  हुए कहा
इतना कुछ हो जाने पर अब खाना बनाने की इच्छा तो मर ही गयी थी , विभा ने मैगी बनाया और ऋचा ने कॉफ़ी
खाते समय थोड़ी देर पहले हुई घटना का जिक्र जारी था कि क्या क्या सिचुएशन आ सकती थी ,और उससे बचने को क्या क्या किया जा सकता था। ऋचा ने तो अगर कुछ हो जाता तो सुसाइड की प्लानिंग भी कर ली थी ,जिसको सुन कर बाकी दोनों लड़कियां खूब हँसी।     
   अगले दिन सुबह सुबह प्रवीण नाश्ते के लिए कचौड़ी,ब्रेड पकोड़े और जलेबी लेकर पहुंच गया।वैभवी ने विबाह और ऋचा से उसका परिचय अपने खास दोस्त के रूप में करवाया।रात की घटना दोबारा तफ्सील से बताई गयी।
    चाय नाश्ते के बाद वैभवी और प्रवीण दोनों लड़कियों को इफ्को चौक से जयपुर की बस में बैठा आये।बस के चलने से पहले विभा ने धीरे से वैभवी के कान में कहा
"जीजू ,तो बहुत हैंडसम हैं ! "
बस के होते ही प्रवीण ने वैभवी को गले से लगा लिया।

"आज ऑफिस की छुट्टी...आज ऑफिस की छुट्टी! मैं तुम्हारे लिए खाना बनाऊंगा तुम्हे चोट जो लगी है... ,तुम मेरी  बहादुर बच्ची हो  "
वो मुस्करा दी
घर की बिल्डिंग के सामने कार रोक कर उसने  वैभवी को उतरने को कहा
"तुम आराम करो ,मैं कुछ ज़रूरी काम निपटा के आता हूँ "
लगभग एक घंटे बाद वो अपना बैग और कुछ सब्ज़ी फल लेकर लौट आया।
आते ही किचन में घुस गया ,वैभवी नहाने चली गयी!
"आओ मैडम लंच तैयार है ... "
"वाओ ..तुमने मेरा इतना ख्याल तो पहले कभी नहीं रखा " वो चहकते हुए बोली
"पहले मुझे कभी अहसास नहीं हुआ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ ! कल रात का वो १ घंटा मैंने किस तरह बिताया ,मैं ही जानता हूँ ,अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो मैं जी नहीं पाता " उसने भावुक होते हुए कहा
"सच यार  ,बस किस्मत और तुम्हारे प्यार ने बचा लिया"
खाना खा ही रहे थे कि  ,तभी फ़ोन बजने की आवाज़ आने लगी
"अरे रिंग टोन चेंज कर ली क्या ? " वैभवी एक बड़ा निवाला मुह में लेते हुए बोली
"मेरा फ़ोन तो मेरी पॉकेट में है ..देखो ! कहीं वो लड़कियां तो अपना मोबाइल नहीं भूल गयीं " प्रवीण ने अपनी प्लेट उठाते  हुए कहा
आवाज़ लगातार आ रही थी, पर मोबाइल नज़र नहीं आ रहा था ,काफी ढूंढने के बाद वैभवी को पता चला कि  आवाज़ एक शॉपिंग बैग से आ रही थी, उसने खोल के देखा ,तो अंदर एक मोबाइल का बॉक्स था .. खोला तो चमचमाता हुआ सोनी का  लेटेस्ट मोबाइल था  ,जिसे वो कई दिनों से लेने को सोच रही थी
"आआ नया मोबाइल ......" भागते हुए उसने प्रवीण को हग कर लिया
ओह्ह थैंक यू डिअर ...पर ये तो बहुत एक्सपेंसिव है ..?तुम्हे भी तो नया सेल लेना था न ... तुमने सारे पैसे .... "
" एक ही बात है तुम लो या मैं लूँ ,हम क्या अलग हैं ? चलो तैयार हो जाओ ,पुराने नंबर की  सिम इशू कराने चलते हैं  " कहते हुए प्रवीण ने उसके माथे को चूम लिया
दोनों की  ऑंखें भीग गयी थी।
Era TAk
50/26,Pratap Nagar,Sanganer
Jaipur


eratak13march@gmail.com

7 comments:

  1. बहुत ही सरल शैली में लिखा गया मन को छु लेने वाला भावपूर्ण लेख !! अत्यंत उत्तम !!

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  2. अच्छी प्रेम कहानी

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  3. अच्छी कहानी अंत तक रोचकता बनी रही

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  4. बहुत अच्छी लव स्टोरी

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Even A Child Knows -A film by Era Tak