कैसे रोक दूं मैं अपनी कलम को दोस्तों
ये अल्फाज़ अपने ज़ख्मों पे मरहम नज़र आते है ....इरा (C) copyright
ये अल्फाज़ अपने ज़ख्मों पे मरहम नज़र आते है ....इरा (C) copyright
इरा टाक लेखक, फिल्मकार, चित्रकार हैं. वर्तमान में वो मुंबई में रह कर अपनी क्रिएटिव तलाश में लगी हुई हैं . ये ब्लॉग उनकी दुनिया की एक खिड़की भर है.
No comments:
Post a Comment